राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को देश में आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण के संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय एक हफ्ते के भीतर नियमों को अंतिम रूप देगा, जिसके बाद आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए देश में आरक्षण लागू हो जाएगा। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय की ओर से शनिवार को जारी अधिसूचना में कहा गया कि संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई है।
संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम के जरिये संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन किया गया है। इसके जरिये एक प्रावधान जोड़ा गया है, जो सरकार को ‘नागरिकों के आर्थिक रूप से कमजोर किसी तबके की तरक्की के लिए विशेष प्रावधान करने की अनुमति देता है।’ यह ‘विशेष प्रावधान’ प्राइवेट शैक्षणिक संस्थानों सहित शिक्षण संस्थानों, चाहे सरकार द्वारा सहायता प्राप्त हो या न हो, में उनके दाखिले से जुड़ा है. हालांकि यह प्रावधान अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों पर लागू नहीं होगा। इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह आरक्षण मौजूदा आरक्षणों के अतिरिक्त होगा और हर श्रेणी में कुल सीटों की अधिकतम 10 फीसदी सीटों पर निर्भर होगा।
इस ऐतिहासिक संविधान संशोधन विधेयक को मंगलवार को लोकसभा और फिर बुधवार को राज्यसभा की मंजूरी मिली थी। राज्यसभा ने बीते बुधवार को करीब 10 घंटे तक चली बैठक के बाद संविधान (124 वां संशोधन), 2019 विधेयक को सात के मुकाबले 165 मतों से मंजूरी दी थी। वहीं इससे ठीक एक दिन पहले लोकसभा ने इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जहां मतदान में तीन सदस्यों ने इसके विरोध में मत दिया था।
उच्च सदन में विपक्ष सहित लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया। कुछ विपक्षी दलों ने इस विधेयक को लोकसभा चुनाव से कुछ पहले लाए जाने को लेकर सरकार की मंशा तथा इस विधेयक के न्यायिक समीक्षा में टिक पाने को लेकर आशंका जताई। हालांकि सरकार ने दावा किया कि कानून बनने के बाद यह न्यायिक समीक्षा की अग्निपरीक्षा में भी खरा उतरेगा क्योंकि इसे संविधान संशोधन के जरिये लाया गया है। केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने इससे पहले इस विधेयक पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए इसे सरकार का एक ऐतिहासिक कदम बताया था।