चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर बैठे जस्टिस दीपक मिश्रा 2 अक्टूबर को पदमुक्त हो जाएंगे। ऐसे में उनके पास कई ऐसे ऐतिहासिक मुकदमें हैं जिसपर उन्हें फैसला सुनाना है। ये मुकदमें देश के लिहाज से भी काफी महत्वपूर्ण हैं। साथ ही सभी राजनीतिक दलों और जनता में भी इन केसों के फैसलों को जानने की त्रीव उत्सुकता है। ऐसे में पूरे देश की नजर जस्टिस दीपक मिश्रा पर रहेगी। वैसे जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद अगले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई होंगे। अगर देखा जाए तो जस्टिस दीपक मिश्रा के पास लगभग 20 कार्य दिन बाकी है। राम जन्म- भूमि, सबरीमाला केस, आधार मामला, एससी/एसटी प्रमोशन में आरक्षण जैसे कई केस हैं जिसपर जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच को फैसला सुनाना है।
बता दें कि इन केसों के अलावा दो बालिगों के बीच सहमति से बनाए गए अप्राकृतिक संबंध को अपराध के दायरे में रखा जाए या नहीं, इस मसले पर सुनवाई पूरी हो चुकी है। फैसला सीजेआई की बेंच के पास सुरक्षित है। वहीं अडल्टरी केस का मामला भी लंबित है जिसमें अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी दूसरी शादीशुदा महिला के साथ उसकी सहमति से संबंध बनाता है तो संबंध बनाने वाले पुरुष के खिलाफ उक्त महिला का पति अडल्टरी का केस दर्ज करा सकता है, लेकिन संबंध बनाने वाली महिला के खिलाफ मामला नहीं बनता। यह नियम भेदभाव वाला है या नहीं, इस पर फैसला आएगा।
इसके साथ ही प्रमोशन में आरक्षण मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। मामले को सात जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर किया जाए या नहीं इस मसले पर फैसला आएगा। वहीं भीड़ के हिंसक प्रदर्शन पर चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच इस मामले में गाइडलाइंस जारी करेगी। पुलिस और उत्पात मचाने वालों की जवाबदेही तय होगी। अधिवक्ताओं का कहना है कि अगले कुछ सप्ताह देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होने जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट इस दौरान कई अहम मामलों में फैसला दे सकता है जो राजनैतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं।