भारत चीन सीमा विवाद उलझते ही जा रहा है। नौ दौर की वार्ता के बाद भी मसले का हल नहीं दिख रहा है। गलवान घाटी हिंसा के बाद भारत लगातार चीन से वार्ता बेहतर करने की कोशिश कर रहा है लेकिन भारत के खिलाफ अलग की शणयंत्र रचने में जुटा है।
चीनी सेना की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) 3488 किलोमीटर की वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपने हथियारों के साथ पीछे हटने के कोई संकेत नहीं दिखा रही है। बल्कि उसने तो तिब्बत में मिसाइल इकाइयों और स्व-चालित होवित्जर के साथ तैयारी और मजबूत कर ली है।
नेशनल सेक्योरिटी प्लानट से मिली खबर के मुताबिक, पीएल नए सिरे से तीनों क्षेत्रों में पैंगोंग त्सो के फिंगर एरिया में नए निर्माण के साथ सैनिकों और भारी उपकरणों की तैनाती कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय को सबूत मिले हैं कि पूर्वी लद्दाख के चुमार में एलएसी से महज 82 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिंकाने पीएलए कैंप के आसपास 35 भारी सैन्य वाहनों और चार 155 एमएम पीएलजेड 83 सेल्फ प्रोपेल्ड होवित्जर की ताजा तैनाती के संकेत हैं।
वहीं पिछले महीने, रूडोक निगरानी सुविधा के पास, एलएसी से 90 किमी दूर, सैनिकों के लिए चार नए बड़े शेड और विभाजन क्वार्टर के पास वाहनों की भारी तैनाती और नए निर्माण कार्य देखे गए हैं। रुडोक और शिक्नेह दोनों कब्जे वाले अक्साई चिन क्षेत्र में हैं।
चीन की चाल को देखते हुए भारत उत्तरी सीमाओं पर अपनी सर्विलांस क्षमता बढ़ाने जा रहा है। बड़ी संख्या में ड्रोन, सेंसर, सैनिक सर्वेक्षण और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण तैनात करेगा ताकि पीएलए की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और घुसपैठ का पता लगाने के लिए भी कदम मजबूत हों।
बता दें कि बीते साल 15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में पीएलए के जवानों ने भारतीय सैनिकों पर धोखे से हमला कर दिया था। इस हमले में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए जबकि चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों की मारे जाने की खबर है।