ड्रोन और हाई-टेक हथियारों की भूमिका को लेकर भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आधुनिक युद्ध के तरीके बदल रहे हैं और ड्रोन जैसी तकनीकें अब जंग का अहम हिस्सा बनती जा रही हैं। यह बात उन्होंने नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में एक कार्यक्रम के दौरान कही। एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, जनरल चौहान ने इस दौरान ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान के हालिया प्रयासों पर भी अपनी बात रखी।
सीडीएस का कहना है कि भविष्य की जंगों में मिसाइलों के साथ-साथ ड्रोन का भी व्यापक स्तर पर प्रयोग होगा, और यह सुरक्षा रणनीतियों को पूरी तरह से बदल देगा। उनका यह बयान पाकिस्तान के लिए असहज करने वाला हो सकता है, विशेषकर तब जब ड्रोन से संबंधित घटनाएं सीमाओं पर बढ़ रही हैं।
ऑपरेशन सिंदूर से मिली अहम सीख
जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के अनुभवों का जिक्र करते हुए कहा कि इस ऑपरेशन ने यह दिखा दिया कि भारत को अपने इलाके की सुरक्षा के लिए स्वदेशी तकनीकों पर ध्यान देना होगा। उन्होंने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान ने कुछ अनआर्म्ड ड्रोन भारतीय सीमा में भेजे थे। हालांकि, ये ड्रोन किसी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचा सके। उनमें से अधिकतर को निष्क्रिय कर दिया गया, और कुछ को लगभग सही-सलामत हालत में जब्त भी किया गया।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस पूरी घटना ने एक बार फिर यह साबित किया कि भारत को अपने काउंटर-यूएएस (Unmanned Aerial Systems) सिस्टम को मजबूत करने की जरूरत है।
ड्रोन ने युद्ध के तौर-तरीकों को बदला
CDS चौहान का मानना है कि ड्रोन ने युद्ध की दुनिया में एक तरह का क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है। उन्होंने कहा, “ड्रोन की बढ़ती उपस्थिति और इनकी उपयोगिता ने सेना की रणनीति में बड़ा परिवर्तन किया है। अब पारंपरिक युद्ध तकनीकों के साथ-साथ हमें आधुनिक ड्रोन संचालन पर भी उतना ही भरोसा करना होगा।”
उनके मुताबिक, ड्रोन की भूमिका अब सिर्फ निगरानी तक सीमित नहीं रही, बल्कि ये असली ऑपरेशनल हथियारों के तौर पर सामने आ रहे हैं। जैसे-जैसे तकनीक में सुधार हो रहा है, सेना इनका प्रयोग ज्यादा व्यापक और रणनीतिक रूप से कर रही है।
‘विदेशी तकनीक पर निर्भरता खतरनाक’
जनरल चौहान ने युद्ध की तैयारियों को लेकर भी अहम बात कही। उन्होंने कहा कि यदि हम केवल विदेशी हथियारों और तकनीकों पर निर्भर रहेंगे तो हमारी युद्धक्षमता प्रभावित हो सकती है। उन्होंने साफ कहा, “भविष्य का युद्ध बीते ज़माने की तकनीक से नहीं जीता जा सकता। अगर हमें अगली पीढ़ी के युद्धों के लिए तैयार रहना है तो हमें आत्मनिर्भर और तकनीकी रूप से अपडेटेड होना पड़ेगा।”
पाकिस्तान को सीधा संदेश?
हालांकि जनरल चौहान ने पाकिस्तान का नाम सीधे तौर पर बार-बार नहीं लिया, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर और सीमाओं पर पाकिस्तानी ड्रोन की घटनाओं का जिक्र यह साफ संकेत है कि भारत अब ड्रोन वारफेयर को हल्के में नहीं ले रहा। उनके बयान से साफ है कि भारत पूरी तरह से नए दौर की सैन्य रणनीति की ओर बढ़ रहा है, जिसमें तकनीक और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की बड़ी भूमिका होगी। कुल मिलाकर, CDS अनिल चौहान का यह बयान आने वाले समय में भारत की सैन्य नीति और पाकिस्तान की रणनीतिक चिंता दोनों को प्रभावित कर सकता है।