‘लव, सेक्स और धोखा’ ने न जाने कितनों की जिंदगियों को बर्बाद कर दिया है। लेकिन अब कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाया है। जी हां, लिव इन में रहकर महिला को शादी का झांसा देने वाले पुरुषों के लिए मुसीबतें बढ़ने वाली है। अब अगर उन्होंने किसी भी महिला के साथ ऐसा किया तो उनको महिला को मुआवजे के रूप में अपनी कमाई का भुगतान करना पड़ सकता है। क्या लंबे समय तक साथ रहने और सहमति से यौन संबंधों को शादी के बराबर माना जा सकता है? सु्प्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से राय मांगी है। उच्चतम न्यायालय ने इस बात की जांच करने का फैसला किया कि इस तरह के रिश्ते को वास्तविक शादी की तरह मानकर क्या ऐसे व्यक्ति की दीवानी जवाबदेही तय की जा सकती है। सोमवार को कोर्ट ने इसपर विचार करने का फैसला किया है।

कोर्ट ने विचार करने का फैसला किया है कि यदि किसी महिला को शादी का झांसा देकर लिव-इन-रिलेशन में रखा जाए और उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर उसे बेसहारा छोड़ दिया जाए तो क्या वह महिला अपने लिव-इन पार्टनर से किसी तरह के गुजारे भत्ते और मुआवजे का हकदार है या नहीं? जस्टिस आदर्श कुमार गोयल और जस्टिस अब्दुल नजीर की बेंच ने यह बात कही है।

सुप्रीम कोर्ट अब ऐसे मामलों की जांच करेगा और उसने इस मामले में सरकार से भी राय मांगी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया है। साथ ही अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर कहा है कि वह इस मुद्दे पर एक एडिशनल सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति करें।

~देव कुमार गुप्ता

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