उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था इस वक्त एकदम चरमराई हुई है। अभी तक यूपी में 1.72 लाख शिक्षा मित्रों को झटका लगा ही था कि अब केंद्र सरकार ने यूपी के प्रेरक शिक्षकों को एक तगड़ा झटका दे दिया है। केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार में साक्षर मिशन योजना को 30 सितंबर 2017 के बाद चलाने की परमिशन देने से इनकार कर दिया है। केंद्र सरकार के इस फैसले से यूपी में लगभग 1 लाख प्रेरक शिक्षक 1 अक्टूबर से बेरोजगार हो जाएंगे। यानी अब उनके पास कोई काम नहीं रहेगा।
वैसे आज के जमाने में स्थायी व अस्थायी नौकरियां मिलना कितना मुश्किल हो गया है, बाई चांस अगर नौकरियां मिल भी गई, तो आज लोगों को एक डर सताता रहता है कि नौकरी बचेगी या छीन ली जाएगी! कुछ ऐसा ही हाल इस वक्त यूपी में प्रेरक शिक्षकों की है। यह खबर सुनकर प्रेरक शिक्षकों में हडकंप मच गया है। वे अब अगले आदेश का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि वो 1 अक्टूबर के बाद से इस मुद्दे पर बैठक कर आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे।
गौरतलब है कि यूपी में प्रेरक शिक्षकों की पहली बार भर्ती 2012 भारत साक्षर मिशन योजना के अंतर्गत हुई थी। इस योजना के अंतर्गत प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में 1 महिला और 1 पुरुष प्रेरक शिक्षक नियुक्त किये गये थे।
मौजूदा हाल में उत्तर प्रदेश में कुल 99 हजार 842 प्रेरक शिक्षक कार्यरत है। प्रेरक शिक्षक को 2 हजार ब्लॉक, डिस्ट्रिक्ट और स्टेट लेवल पर कोआर्डिनेटर को 6 हजार का मानदेय मिलता है। ये योजना एक साल के लिए स्वीकृत थी। इस योजना के संचालन की अवधि 31 मार्च 2013 तय की गई थी।
बता दें यूपी में साक्षर मिशन योजना के डायरेक्टर अवध नरेश शर्मा ने जिला लोक शिक्षा समिति के सचिव को एक लेटर जारी किया है। लेटर में कहा गया है भारत सरकार की तरफ से संचालित साक्षर मिशन योजना की अवधि 30 सितम्बर 2017 को समाप्त हो रही है। केंद्र सरकार ने इस योजना को आगे संचालित करने की परमिशन नहीं दी है। इसलिए किसी भी संविदा कर्मी, जिला समन्वयक या प्रेरकों पर किसी भी मद में कोई व्यय न किया जाए। भारत सरकार से आगे कोई आदेश मिलने के बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।
यूपी प्रेरक शिक्षक संघ के वाइस प्रेसिडेंट अखमल खां के मुताबिक़ यूपी में 1 अक्टूबर से साक्षर मिशन योजना के बंद होने के बारे में अभी हमारे पास कोई जानकारी नहीं है।
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