2017 में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद चुनावी प्रक्रिया में इस्तेमाल की जाने वाली ईवीएम मशीन पर कई सवाल खड़े हो गए थे। विपक्षी पार्टियों ने दावा किया कि मतदान के दौरान ईवीएम मशीन से छेड़छाड़ की गई जिसकी वजह से उनकी पार्टियों को नुकसान हुआ। इस आरोप से चुनाव आयोग की विश्वनियता पर भी सवाल खड़े हो रहे थे। हालांकि चुनाव आयोग ने इन सभी आरोपों का खंडन करते हुए विपक्षी पार्टियों को निमंत्रण दिया कि वे आएं और ईवीएम में छेड़छाड़ करके दिखाएं। इन सबके बीच विपक्ष ने एक मांग रखी थी कि मतदान के बाद मतदाता आश्वस्त हो कि उसने अपना वोट सही उम्मीदवार को दिया है या नहीं।

 विपक्ष की इस मांग पर चुनाव आयोग नें केंद्र के सामने एक प्रस्ताव रखा था जिसे केंद्र ने मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आने वाले चुनाव में उपयोग के लिए पेपर ट्रेल मशीनों की खरीद के चुनाव आयोग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। केंद्र की इस मंजूरी के बाद यह तय हो गया कि अगर 2018 तक मतदान की नई व्यवस्था की पूरी तैयारी हो गई तो 2019 के लोकसभा चुनाव में मतदाता अपने वोट डालने के बाद आश्वस्त हो सकेगा।

ईवीएम को लेकर बढ़ते विवाद को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी अध्यक्ष्ता में कैबिनेट के साथ एक छोटी सी चर्चा की और VVPAT मशीनों की खरीद को मंजूरी दे दी है। बैठक के बाद वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि अगर 2018 तक सारी मशीनें आ जाती है तो स्वाभाविक रूप से उसके बाद के सभी चुनावों में पोलिंग बूथ पर ईवीएम मशीन के साथ पेपर ट्रेल मशीन भी होगा। उन्होंने बताया कि चुनाव आयोग हमेशा से इसकी मांग करता रहा है, और इसकी पूरी चर्चा करने के बाद केंद्रीय मंत्रिपरिषद ने इसे अपनी स्वीकृति दी है।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने देश के सभी मतदान केंद्रों के लिए 16 लाख से अधिक पेपर ट्रेल मशीनों की खरीद के लिए 3,174 करोड़ रुपये मांगे हैं। कैबिनेट ने नई इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनों की खरीद के लिए अब तक दो किस्तों में 1,009 करोड़ रुपये और 9,200 करोड़ रुपयों की मंजूरी प्रदान कर चुकी है।

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