उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान किसानों की कर्ज माफ़ी के मुद्दे पर खूब शोर मचाया गया था। बीजेपी की तरफ से मोर्चा संभाल रहे प्रधानमंत्री ने अपने हर संबोधन और सभा में किसानों से सरकार बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में किसानों के कर्ज माफ़ करने की बात कही थी।
प्रधानमंत्री की बात और बीजेपी के चुनावी वादे के विपरीत राज्यसभा में बोलते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री और बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार राज्य के किसानों की कर्जमाफी में कोई सहयोग नहीं दे सकती है। वित्तमंत्री ने उत्तरप्रदेश में किसानों की क़र्ज़ माफ़ी से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि राज्य सरकार चाहे तो अपनी तरफ से संशोधन लाकर अपने श्रोतों से इंतजाम करते हुए किसानों को राहत दे सकती है।
अरुण जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार यूपी सरकार की मदद इसलिए भी नहीं कर सकती क्योंकि यह अन्य राज्यों के साथ भेदभाव करने जैसा होगा। कई राज्यों से लोन माफी की मांग उठती रही है लेकिन कृषि सेक्टर को लेकर केंद्र सरकार की अपनी नीतियां हैं। नीतियों और योजनाओं के तहत केंद्र सरकार लोन पर ब्याज में छूट और अन्य सहायता देती है। हम इन सुविधाओं को लगातार जारी रखेंगे। गौरतलब है कि यूपी के अलावा महाराष्ट्र और पंजाब से भी कर्ज माफ़ी की मांग उठती रही है।
जेटली से पहले केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने उत्तर प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी की बात कही थी। उन्होंने कर्ज माफी के पैसे केंद्र को देने की बात भी कही थी। मंत्री के बयान के बाद इसपर खूब हंगामा बरपा। विपक्ष ने राज्यों से भेदभाव का आरोप भी लगाया था।
अरुण जेटली के अलावा रिजर्व बैंक भी कर्ज माफ़ी के विरोध में उतर गया है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मूंदड़ा ने कहा है कि इससे कर्ज लेने और देने वाले के बीच अनुशासन बिगड़ता है। हालांकि उन्होंने यह भी जोड़ा की यह उनकी व्यक्तिगत राय है। यह रिजर्व बैंक का रुख नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से भी इस बारे में अभी तक कोई सूचना नहीं मिली है।
अरुण जेटली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब उत्तरप्रदेश में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आ चुकी है। प्रदेश की योगी सरकार पर किसानों से किये इन वादों को पूरा करने का दबाव भी है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार मदद देने से इंकार करती है तो बीजेपी को यह वादा महंगा पड़ सकता है। इसके लिए फण्ड का इंतजाम राज्य सरकार को करना होगा जो यूपी जैसे बड़े प्रदेश के लिए आसान नहीं होगा।