नेताजी सुभाष चंद्र बोस के निधन को लेकर हमेशा से ही सवाल उठते रहे हैं। एक आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में गृह मंत्रालय ने बताया कि नेताजी की मौत 18 अगस्त 1945 के विमान हादसे में हो गई थी। आरटीआई में दिए गए जवाब से नेताजी का परिवार नाखुश है।
केंद्र का कहना है कि शहनवाज कमेटी, जस्टिस जीडी खोसला कमीशन और मुखर्जी कमीशन की दी हुई रिपोर्ट्स के बाद यह निष्कर्ष निकला है कि 1945 में ताइवान में हुए विमान हादसे में नेताजी मारे गए थे।
सरकार का कहना है कि मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट में गुमनामी बाबा और भगवानजी के बारे में कहा गया है कि वो नेताजी सुभाषचंद्र बोस नहीं थे।
नेताजी के पोते चंद्र कुमार बोस ने कहा कि यह काफी गैर जिम्मेदाराना कदम है, बिना किसी ठोस सबूत के केंद्र सरकार इस तरह का जवाब कैसे दे सकती है। यह आरटीआई सायक सेन नामक व्यक्ति ने दाखिल की थी।
बोस के अनुसार पीएम से हमारी मुलाकात में उन्होंने इस जांच को तार्किक नतीजे पर पहुंचाने का वादा किया था।
चंद्र बोस ने कहा कि गृह मंत्रालय को माफी मांगनी चाहिए। हम चाहते हैं कि इस मामले में एसआईटी का गठन हो, जो जारी की गई फाइलों का अध्ययन कर सके। इसके साथ ही हम चाहते हैं कि ताइवान में मिली अस्थियों का केंद्र सरकार डीएनए टेस्ट करवाए। मैं पहले बोस परिवार का सदस्य हूं और बाद में भाजपा का नेता… मेरा पहला लक्ष्य उनकी मौत की गुत्थी को सुलझाना है।