बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों में मिले खंडित जनादेश के बाद कुर्सी की खींचतान और मेयर पर सस्पेंस अभी जारी है। चुनाव में शानदार प्रदर्शन करने वाली शिवसेना और बीजेपी दोनों ही संभावनाएं तलाशने में लगे हैं। गठबंधन की बात पर भी फिलहाल संशय के बादल छाये हुए हैं। शिवसेना जहाँ किसी कीमत पर बीजेपी से सौदा नहीं करना चाहती वहीँ पहली बार बिना गठबंधन के अकेले चुनावों में उतरी बीजेपी भी किसी जल्दबाजी में नजर नहीं आ रही है। कुल मिलाकर हम यह कह सकते हैं कि शह और मात के खेल के साथ मुंबई को नया मेयर मिलने में अभी समय लगेगा।
बीएमसी चुनावों में अब बाजी बहुत हद तक कांग्रेस और एनसीपी के हाथ में भी है। केंद्र में एनसीपी और कांग्रेस सत्ता की साझेदार रह चुकी है। नगरपालिका चुनावों में ख़राब प्रदर्शन के बावजूद एनसीपी-कांग्रेस दोनों ही पार्टियाँ किंगमेकर की भूमिका अदा कर सकती हैं। कांग्रेस जहाँ बीजेपी को सत्ता से रोकने के लिए शिवसेना को बिना शर्त समर्थन दे सकती है वहीँ एनसीपी न चाहते हुए भी कांग्रेस की मदद के लिए अपने कट्टर विरोधी शिवसेना को समर्थन का ऐलान सकती है।
चुनावी नतीजों के बाद चल रही माथापच्ची में जहाँ केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि मुंबई नगर निगम पर नियंत्रण के लिए उनकी पार्टी और शिवसेना के पास हाथ मिलाने के अलावा और ‘कोई विकल्प’ नहीं है। दूसरी तरफ शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में भाजपा पर जमकर निशाना साधा है। शिवसेना ने सामना में भाजपा पर गुंडे आयात करने का आरोप लगाया है। सामना में लिखा है कि भाजपा ने बाहर से गुंडे आयात कर अपनी छवि गुंडा पार्टी वाली बना ली है। ऐसे हालत में दोनों ही पार्टियों में गठबंधन की बात दूर की कौड़ी नजर आ रही है।
कांग्रेस बीएमसी में शिवसेना को समर्थन देने का मन तो बना रही है लेकिन उसने शिवसेना से महाराष्ट्र सरकार से समर्थन वापस लेकर गठबंधन तोड़ने की शर्त रख दी है। अगर शिवसेना यह शर्त मानती है तो बीजेपी की सरकार अल्पमत में आ जाएगी या सरकार गिर सकती है। आ रही ख़बरों के मुताबिक मुंबई में कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक फड़णवीस सरकार को गिराने का प्रस्ताव रखा गया था। इसके अलावा बैठक में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की सरकार बनाने का प्रस्ताव भी पेश हुआ इस प्रस्ताव को अशोक चव्हाण, संजय निरुपम और नारायण राणे जैसे बड़े नेताओं ने अपना समर्थन भी दिया है।
राज्य सरकार की बात करें तो 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के 122, शिवसेना के 63, कांग्रेस के 42, एनसीपी के 41 और 20 अन्य विधायक हैं महाराष्ट्र में अभी बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है। देवेंद्र फड़णवीस मुख्यमंत्री हैं। अगर यहां शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस एक साथ आते हैं तो फड़णवीस सरकार अल्पमत में आ जाएगी और सरकार अस्थिर हो जाएगी। ऐसे में यह तो तय है कि नगर निगम की कुर्सी और सत्ता के लिए शुरू हुआ संघर्ष राज्य सरकार को भी मुश्किल में डाल सकता है। बीजेपी भी शिवसेना के साथ के अलावा किसी अन्य से गठबंधन या समर्थन की उम्मीद में नहीं है।
गौरतलब है कि बीएमसी चुनावों में बीजेपी ने शिवसेना को कड़ी टक्कर देते हुए 82 सीटें और शिवसेना ने 84 सीटें जीती थी। चुनावों के बाद 3 निर्दलीय पार्षदों के समर्थन से शिवसेना अब 87 सीटों पर पहुंच गई है जबकि एक निर्दलीय का समर्थन पाकर भाजपा 83 सीट पर पहुंच गई है। निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बावजूद शिवसेना बहुमत से 27 और बीजेपी 31 सीट दूर है। बहुमत के जादुई आंकड़े तक पहुंचने और सत्ता पर काबिज होने के लिए 114 सीटों की आवश्यकता है। ऐसे में दोनों में से कोई भी पार्टी इसे हासिल नहीं कर सकती है। अब देखना है कि आने वाले वक़्त में देश की आर्थिक राजधानी में किसकी हुकूमत होगी कौन बनेगा किंगमेकर और किसका खेल बिगड़ेगा?