उत्तरप्रदेश में एक तरफ जहाँ आदित्यनाथ योगी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही गौ हत्या पर प्रतिबंध लगाने के साथ अवैध बूचड़खानों पर लगातार कारवाई जारी है वही आज बीजेपी के नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने गौ संरक्षण विधेयक राज्यसभा में पेश किया। इस विधेयक में गौ हत्या करने पर सजा–ए–मौत देने का प्रावधान है। इस विधेयक में गायों की संख्या का स्थिरीकरण सुनिश्चित करने और गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के लिए संविधान के अनुच्छेदों 37 और 48 का अनुपालन सुझाने के लिए एक प्राधिकरण सृजित करने का भी प्रावधान किया गया है।
संसद में अगर यह विधेयक पारित होता है या इसे लागू करने पर केंद्र सरकार विचार करती है तो ऐसे में गौ हत्या एक संज्ञेय अपराध माना जायेगा और नए कानून के तहत इसका उल्लंघन करने वाले व्यक्ति को फांसी दी जा सकती है। वर्तमान में गौ हत्या के अपराध में कोई भी केंद्रीय कानून नहीं है। यह अलग-अलग राज्यों में अलग अलग है। ऐसे मामलों में राज्य के कानूनों के अनुसार कम से कम एक वर्ष की सजा और अधिकतम 10 वर्ष की सजा का प्रावधान है इसके अलावा ऐसे मामलों में दस हज़ार तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
सुब्रमण्यम स्वामी के अलावा शिरोमणि अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने ‘संसद (उत्पादकता में वृद्धि) विधेयक 2017 पेश किया। गुजराल के इस विधेयक का समर्थन उप सभापति पी जे कुरियन ने भी किया। उन्होंने कहा कि संसद में कामकाज होना चाहिए और इसमें बाधा रोकी जानी चाहिए। इस विधेयक में संसद का कामकाज प्रतिवर्ष कम से कम 100 दिन होने के साथ एक विशेष सत्र बुलाने का प्रावधान किया गया है। इन दोनों विधेयकों के अलावा आज सदन में गैर सरकारी विधेयकों के तहत राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वंदना चव्हाण ने ‘शिक्षा संबंधी विशेष नि:शक्तता से ग्रस्त बालक (पहचान और शिक्षा में सहायता) विधेयक 2016, तृणमूल कांग्रेस के कनवर दीप सिंह ने ‘अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (संशोधन) विधेयक 2016, कांग्रेस के पलवई गोवर्धन रेड्डी ने’ संविधान (संशोधन) विधेयक 2016 (दसवीं अनुसूची का संशोधन) और भारतीय जनता पार्टी के प्रभात झा ने संविधान (संशोधन) विधेयक 2017 (अनुच्छेद 51 क का संशोधन) पेश किए।