बिहार में विधानसभा चुनावों की सरगर्मियां अभी से तेज़ हो गई हैं, हालांकि चुनावों में कुछ महीनों का समय बाकी है। राजनीतिक दलों ने अभी से जनता को साधने के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने राज्यवासियों को राहत देने वाला एक अहम कदम उठाने की तैयारी की है।
जानकारी के मुताबिक, सरकार राज्य में 100 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की योजना पर काम कर रही है। इसके लिए ऊर्जा विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार कर वित्त विभाग को भेजा है। यह प्रस्ताव मंजूरी के बाद लागू किया जा सकता है।
नीतीश सरकार के इस कदम को एनडीए की ओर से चुनाव से पहले एक ‘जनहितकारी दांव’ माना जा रहा है। भाजपा प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस पहल को स्वागत योग्य करार दिया है। उन्होंने कहा कि विपक्ष भले इसे चुनावी रणनीति बताए, लेकिन यह गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के हित में है और सरकार का जनकल्याणकारी दृष्टिकोण दर्शाता है।
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने महिलाओं को लेकर एक और बड़ा फैसला लिया था। सरकारी नौकरियों में अब बिहार की मूल निवासी महिलाओं को 35% आरक्षण मिलेगा। यह फैसला राज्य में डोमिसाइल आधारित महिला आरक्षण को लागू करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
बीते मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में कुल 43 प्रस्तावों को हरी झंडी दी गई, जिनमें युवा आयोग के गठन से लेकर महिला आरक्षण तक कई बड़े फैसले शामिल रहे। महिला आरक्षण का दायरा सभी संवर्गों की सीधी नियुक्तियों तक बढ़ाया गया है।
इसके अलावा राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा को लेकर भी बड़ा कदम उठाया है। अब वृद्ध, विधवा और दिव्यांगजनों को मिलने वाली मासिक पेंशन 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दी गई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद लाभार्थियों के खाते में यह राशि ट्रांसफर की और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए कई लाभार्थियों से संवाद भी किया।
इस फैसले से करीब 1 करोड़ 11 लाख लोगों को फायदा होगा। मसलन, पटना से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित सिकंदरपुर के रहने वाले 66 वर्षीय खेतिहर मज़दूर रामेश्वर प्रसाद ने इस फैसले पर संतोष जताया और कहा कि इससे जीवनयापन में सहूलियत मिलेगी। इन तमाम घोषणाओं से स्पष्ट है कि नीतीश सरकार आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए जनहित के फैसलों की झड़ी लगा रही है, जिससे आम जनता को सीधे तौर पर लाभ मिल सके।