Arunachal Pradesh में भारत-चीन तनाव के बीच Sela Tunnel के निर्माण का काम पूरा हो गया है। यह टनल भारत के सामरिक क्षमता को मजबूती प्रदान करेगा। इस सुरंग के कारण सेना बहुत ही कम समय में और किसी भी मौसम में वास्तविक नियंत्रण रेखा यानी की चीन सीमा तक आसानी से पहुंच जाएगी।

पड़ोसी मुल्क चीन ने एलएसी पर अपनी ओर पहले से अच्छी रोड का निर्माण कर रखा है। वहीं सीमा पर तनाव को देखते हुए सीमा सड़क संगठन ने तेजी से इस रोड का निर्माण किया है। सेला दर्रा 317 किलोमीटर लंबे चाहरद्वार-तवांग सड़क पर है। यह 13,800 फीट ऊंचाई पर है।
सेला टनल के निर्माण से सेना को तवांग तक जाने में सुगमता होगी
सेला टनल अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के दूसरे हिस्सों से जोड़ने वाला एकमात्र रास्ता है। सेला टनल बन जाने पर यहां किसी भी मौसम में यातायात की सुविधा हर वक्त मौजूद रहेगी। बर्फबारी के दिनों में यह पूरा इलाका अरुणाचल के अन्य दूसरे हिस्सों से पूरी तरह कट जाता था। यहां तक कि खराब मौसम में सेना के हेलिकॉप्टर भी इस इलाके में उड़ान नहीं भर पाते थे।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 2019 में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड के माध्यम से तवांग तक सड़क संपर्क को बेहतर बनाने के लिए सेला टनल प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। सेला टनल का काम पूरा होने पर यह 1.5 किलोमीटर से ज्यादा लंबी टनल 13,800 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी डबल लेन सड़क सुरंग में से एक होगी।
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