बीएसएफ जवान तेज बहादुर द्वारा खराब खाने को लेकर सोशल मीडिया में वीडियो डालने से हंगामा मच गया था। जिसके बाद अन्य कई सेना अधिकारियों ने वीडियो के माध्यम से अपना गुस्सा जाहिर करते हुए बताया कि उन्हें किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है। जिसमें जवानों ने बताया कि सेना के बड़े अधिकारी उनके साथ नौकरों जैसा बर्ताव करते है जैसे:- जूते साफ करवाना, घर का काम, कुत्तों को घूमाना जो जवानो की ड्यूटी का हिस्सा नहीं होती। इसके बाद पूरे सैनिक प्रशासन पर कई सवाल उठे। तेज बहादुर के बाद एक और जवान का वीडियो सामने आया है।
इस जवान का नाम सिंधव जोगीदास है। सिंधव ने बताया कि बहुत सारी यूनिटों में खाना दिया जाता है तो सिर्फ जिंदा रखने के लिए न की जरूरत के लिए, सबसे सस्ती सब्जी, सस्ते फल और सबसे घटिया खाना दिया जाता है। वीडियो में जवान ने अन्य कई बातों का जिक्र करते हुए कहा कि सेना के अधिकारी जवानों को अपना गुलाम समझते है और जवानो को भी सारा काम मजबूरी में करना पड़ता है। जोगीदास ने बताया कि जो भी जवान मुँह खोलता है वो मारा जाता है क्योंकि सेना का संविधान बहुत ही सख्त है। जोगीदास के अनुसार उन्हें छुट्टी खत्म होने के 2 दिन बाद ड्यूटी ज्वाइन करने पर सहायक का काम करने की सजा दी गई। जब उन्होंने सजा को स्वीकार करने से इंकार किया तो उन्हें 7 दिन सेना की हिरासत में भेज दिया गया था। जोगीदास ने दावा करते हुए कहा कि वो पीएमओ, रक्षा मंत्री और सेनाध्यक्ष बिपिन रावत तक भी अपनी बात पहुंचा चुके हैं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। प्रधानमंत्री दफ्तर को खत लिखने के बदले उनके खिलाफ जांच बिठा दी गई।
सेना के सूत्रों के अनुसार जवान सिंधव जोगीदास द्वारा लगाए गए आरोप गलत है और जोगीदास को छुट्टी से ज्यादा घर में समय बीताने की सजा दी गई थी। उसके बाद जोगीदास को रानीखेत में ट्रांसफर कर दिया गया था पर उसने ड्यूटी करने से मना कर दिया था इसलिए उसे 7 दिन आर्मी की जेल में रखा गया था। साथ ही यह भी बताया गया था कि पीएमओ को खत लिखने के बाद उसपर जांच की गई थी पर उसकी बातों में कोई सच्चाई नहीं मिली। फरवरी के बाद उसका तबादला लेह में कर दिया था पर उसने ड्यूटी ज्वाइन ही नहीं की।