राज्यसभा सांसद अमर सिंह भले ही समाजवादी पार्टी से कभी दूर तो कभी पास होते नजर आए हों। लेकिन अखिलेश यादव औऱ आजम खां के प्रति उनका गुस्सा आज भी बना हुआ है। उन्होंने अपने फेसबुक अकाउंट से एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वो काफी गुस्से में नजर आ रहे हैं। उन्होंने वीडियो में अखिलेश यादव औऱ आजम खां को काफी बुरा-भला कहा है। बेहद गुस्से में नजर आ रहे अमर ने आजम पर जमकर निशाना साधा और उन्हें राक्षस तक बता डाला। वहीं अखिलेश यादव को समाजवादी नेता की जगह नमाजवादी नेता कहा। अमर सिंह ने कहा, ‘अखिलेश तुम्हें विष्णु मंदिर बनाने का पूरा हक है?, तुम समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष नहीं हो, तुम नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष हो। तुम्हारा बनाया हुआ और तुम्हारे पिता का बनाए हुए राजनीतिक पुत्र अजाम खान ने बयान दिया कि अमर सिंह जैसे लोगों को काटना चाहिए। उनकी जवान हो रही बेटियों के उपर तेजाब फेंकना चाहिए।’
अमर सिंह ने अखिलेश यादव को परिवार का हवाला देते हुए कहा कि मैं कहता हूं बेटियां आपकी भी हैं आपके परिवार की भी हैं। बहूएं हैं पत्नियां हैं। आप मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना से पूछिए तुम्हारे भाई विवेक और उनकी पत्नी वंदना के तमाम झगड़े के बाद साधना जी रोते हुए मेरे पास आई थीं। वर्षों से जेल में पड़े सिसकियां ले रहे थे। तमाम विरोध के बाद मैंने तुम्हारे घर की बहू की सिसकियां बंद कराई थी। उसके आंसू पोछे। वहीं जब तुम्हारे परिवार की वजह से जब हम जेल में थे तो न तुमने, न तुम्हारे पिता ने या तुम्हारे परिवार के लोग एक बार भी मेरे परिवार के आंसू पोछने नहीं आए।’
अगर धर्मनिरपेक्षता का मतलब अपने स्वाभिमान से समझौता कर हिंदू होने पर शर्म करना है तो ऐसी धर्मनिरपेक्षता नमाजवादी पार्टी को मुबारक, आज़म खान और उनकी पार्टी की असलियत पूरे प्रदेश तक पहुँचा उनकी नींव हिला कर ना रख दी तो मेरा नाम अमर सिंह नहीं।
— Amar Singh MP (@AmarSinghTweets) August 26, 2018
अमर सिंह ने आजम खां को कठघरे में ख़ड़ा करते हुए कहा कि नमाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश- तुम्हारा पाला हुआ, तुम्हारा पैदा किया हुआ तैमूर लंग अलाउद्दीन खिलजी, नादिर शाह अब्दाली महमूद गजनवी की नस्ल और संस्कृति का राक्षस आजम खान हमारी बेटियों को तेजाब से नहलाने की बात करता है और हमें काटने की बात करता है।’ अमर सिंह ने कहा कि ‘मैं उत्तर प्रदेश और हिंदुस्तान के हिंदू समाज से कहूंगा, मुझे यदि इसके लिए सांप्रदायिकता का तमगा मिलता है तो बेशक मिले। अगर धर्मनिरपेक्षता का मतलब है अपने स्वाभिमान से समझौता करना तो ऐसी धर्मनिरपेक्षता से मैं कान पकड़ता हूं। कलाम जैसे राष्ट्रभक्त मुसलमानों का सम्मान मैं कर सकता हूं, लेकिन अलाउद्दीन खिलजी, महमूद गजनवी की नस्ल और संस्कृति के मोहम्मद आजम खान का नहीं।