अभी दो महीने भी नहीं हुए कि कुमार स्वामी के आँखों से आंसू छलकने लगे हैं। 23 मई को पूरा विपक्ष कुमारस्वामी के ताजपोशी में शामिल हुआ था। विपक्षी पार्टियां कुमारस्वामी और कांग्रेस के गठबंधन को बीजेपी के लिए करारा तमाचा बता रहे थे। इसी मंच पर ये बताया जा रहा था कि अब विपक्ष एकजुट हो गया है। अब मोदी के लिए ये सभी दल मुसीबत बनेंगे। उस दिन कुमारस्वामी काफी खुश थे, चेहरे पर चमक थी। लेकिन उन्हें नहीं पता था जिस गठबंधन के लिए वो अपने विधायकों को बीजेपी से छुपाए चल रहे थे एक दिन वही गठबंधन के चलते उन्हें नीलकंठ बनना पड़ रहा है। उन्हें न जाने विष पीना पड़ रहा है। न जाने उन्हें क्यों उस गठबंधन पर पछतावा हो रहा है जिसके लिए खुद कांग्रेस ने हाथ बढ़ाया था। आखिर कुमारस्वामी के आंखों से क्यों आंसू छलके।
विपक्ष कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन को बड़ी जीत बता रहा था लेकिन कुमारस्वामी को पछतावा हो रहा है कि उन्होंने क्यों कांग्रेस से गठबंधन किया। स्वामी बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि वो कुर्सी पर बैठकर खुश नहीं हैं। मुख्यमंत्री कुमारस्वामी ने कहा कि मैं भगवान नीलकंठ की तरह जहर पी रहा हूं। उन्होंने साफ कहा कि सभी मेरे मुख्यमंत्री बनने से खुश हैं लेकिन मैं काफी दुखी हैं। कुमारस्वामी ने कहा कि हमें राज्य की जनता की चिंता है इसलिए कुर्सी नहीं छोड़ रहा हूं। कुमार स्वामी के बयान से साफ है कि वो कांग्रेस के साथ गठबंधन करके काफी दुखी हैं। इस बयान के बाद सियासत गर्म हैं।
कुमारस्वामी के आंसू छलकने से बीजेपी कांग्रेस पर हमला बोल रही है वहीं कांग्रेस सबकुछ ठीक होने की बात कह रही है। लेकिन जबसे कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनी है तब से दोनों पार्टियों के बीच तनातनी जारी है। कभी मंत्रालय को लेकर तो कभी बजट को लेकर दोनों पार्टियों में कड़वाहट रही है। जब से सरकार बनी है दोनों पार्टियों में खाई बढ़ती जा रही है। अब सवाल उठता है कि क्या कुमारस्वामी जल्द गठबंधन तोड़ देंगे? क्या कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस में तलाक हो जाएगा ? क्या कांग्रेस-जेडीएस के बीच गठबंधन ज्यादा दिन तक नहीं चलेगा? ऐसे कई सवाल हैं जो कुमारस्वामी के आंसू गिरने के बाद उठने लगे हैं।
एपीएन ब्यूरो