Allahabad High Court ने कहा- लंबे समय तक जेल में रहना जमानत पर रिहाई का एक मात्र आधार नहीं हो सकता

0
413
Allahabad High Court
Allahabad High Court

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा कि किसी अभियुक्त को जमानत देते समय शर्तों का पालन किया जाना चाहिए। हाई कोर्ट के मुताबिक किसी लोक सेवक का साक्ष्य इसलिए उपेक्षित नहीं किया जा सकता कि वह पुलिस अधिकारी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अनुसार, अभियुक्त के कब्जे से मादक पदार्थ की बरामदगी न होने मात्र से यह नहीं कह सकते कि वह अपराध में लिप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि लंबे समय से जेल में रहना जमानत पर रिहाई का एक मात्र आधार नहीं हो सकता है। इसके साथ कोर्ट ने 1,025 किलो गांजा तस्करी के आरोपित शंकर वारिक उर्फ विक्रम की जमानत अर्जी खारिज कर दी है।

Allahabad High Court: न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने दिया आदेश

इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने जमामन अर्जी खारिज करते हुए कहा कि सरकार ने बाजार में खतरनाक ड्रग्स के फैलाव को रोकने के लिए एनडीपीएस कानून बनाया है। इसकी धारा-37 की शर्तें पूरी न होने पर आरोपित जमानत पाने का हकदार नहीं होगा। कोर्ट ने आरोपी शंकर को जमानत देने से इन्कार करते हुए छह माह में ट्रायल पूरा करने का निर्देश दिया है।

Allahabad High Court
Allahabad High Court

Allahabad High Court: गांजा तस्करी का मामला

बता दें कि गांजा तस्करी मामले में पुलिस को 27 मई 2020 को मुखबिर से सूचना मिली कि टीकमगढ़ से झांसी के मऊरानीपुर की तरफ गांजा दो ट्रकों में लाया जा रहा है। तस्करी की जानकारी मिलते ही पुलिस टीम खादियान क्रासिंग पर पहुंच गई। शाम के साढ़े छह बजे शंकर वारिक व अन्य अभियुक्तों को ट्रक से गांजा के साथ गिरफ्तार किया गया।

अब इस मामले में याची शंकर वारिक का कहना है कि वह निर्दोष है। उसके कब्जे से गांजा बरामद नहीं हुआ था। याचि ने कहा कि कोरोना के कारण साधन नहीं मिला तो ट्रक से यात्रा कर रहा था। गांजा की उसे जानकारी नहीं थी। याचि ने कहा कि मामले में कोई स्वतंत्र गवाह भी नहीं है। बता दें कि जमानत याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि कानून का पालन नहीं किया गया है। तथ्य के मुद्दे ट्रायल के समय साक्ष्य पर तय होंगे। याची पर आरोप बहुत गंभीर है। वह जमानत पर रिहा होने का हकदार नहीं है।

ये भी पढ़ें: