देश की शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त बनाने के लिए सरकार ने अब शिक्षा प्रणालियों में बदलाव करने का फैसला लिया है। सीबीएसई, आईसीएसई, एनआईओएस समेत देशभर के विभिन्न राज्यों के शिक्षा बोर्डों ने एक अहम फैसले में परीक्षा कॉपियों की जांच के दौरान छात्रों को दी जाने वाली ग्रेस मार्क्स के नियम को खत्म करने का फैसला लिया है। पहले इस नियम के तहत छात्रों को मुश्किल प्रश्नों के लिए ग्रेस अंक दिए जाते थे। यह फैसला उच्चस्तरीय बैठक के बाद लिया गया।
आपकों बता दें कि शिक्षा बोर्डों के इस नियम को मॉडरेशन नीति कहते है जिसमें दो तरह के नियम थे। पहले नियम के तहत बोर्ड छात्रों को कुछ खास प्रश्नपत्र में कुछ सवालों पर 15 प्रतिशत अंक देती थी। इस नियम को बोर्ड ने अब बंद कर दिया है। इसके अलावा मॉडरेशन नीति में एक और नियम था जिसमें अगर कोई छात्र थोड़े अंकों की वजह से परीक्षा पास करने से वंचित रह जाता है तो ऐसे परिस्थिति में उस छात्र को ग्रेस अंक देकर पास कर दिया जाता है। यह नियम अभी भी कार्यरत रहेगा।
गौरतलब है कि सीबीएसई ने पिछले वर्ष दिसंबर में ही मॉडरेशन नीति को खत्म करने की अपील की थी। एक आंकड़ों के अनुसार पिछले कई सालों में मॉडरेशन मार्क्स की वजह से छात्रों को 8 से 10 प्रतिशत अंक अधिक मिले और इस वजह से 95 प्रतिशत से ज्यादा अंक लाने वाले छात्रों की संख्या बढ़ गई। जिस कारण नामांकन के समय कटऑफ हाई जाने की वजह से छात्रों को एडमिशन मिलने में परेशानी होने लगी। इस वजह से कॉलेज में एडमिशन को लेकर बढ़ते कम्पटीशन के मद्देनजर सीबीएसई समेत इन बोर्डों ने यह फैसला लिया है।