लंबे समय से अटके पड़े धारावी जीर्णोद्धार (Dharavi Redevelopment Project) का जिम्मा महाराष्ट्र (Maharashtra) की एकनाथ शिंदे सरकार ने आखिरकार दुनिया के तीसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अडानी की कंपनी अडानी रियल्टी (Adani Properties) को सौंप दिया है. कई दिग्गज कंपनियों को पिछे छोड़ते हुए अडानी रियल्टी ने धारावी स्लम के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की बोली जीती है. महाराष्ट्र सरकार ने 29 नवंबर (मंगलवार) को धारावी पुनरुद्धार योजना के लिए प्राप्त बोलियों की घोषणा की थी.
प्रोजेक्ट के सीईओ एसवीआर श्रीनिवास के मुताबिक इसके लिए तीन बोलियां लगाई गई थीं. जिनमें से एक नमन ग्रुप की बोली बिडिंग के लिए क्वालिफाई नहीं कर पाई थी. उसके बाद Adani रियल्टी और डीएलएफ की बोली को खोला गया. जिसमें अडानी रियल्टी ने 5,029 करोड़ रुपयों की, एवं डीएलएफ ने उसके 40 फीसदी से भी कम, यानी 2,025 करोड़ रुपयों की बोली लगाई, और निविदा अडानी रियल्टी ने जीत ली.
धारावी को लेकर 2014 से 2019 के दौरान महाराष्ट्र के सीएम रहे देवेंद्र फडनवीस (Devendra Fadnavis) ने काफी प्रयास किए थे. फडनवीस ने इस बार भी जून 2022 में सत्ता परिवर्तन होते ही उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए थे. इन्हीं प्रयासों के तहत इस बार बोली के लिए न्यूनतम राशि भी 3,150 करोड़ रुपयों से घटाकर 1,600 करोड़ रुपए कर दी गई.
क्या है पूरी परियोजना?
धारावी जीर्णोद्धार (Dharavi Redevelopment Project) परियोजना में पुनर्विकास के बाद करीब 60,000 परिवारों को 405 वर्ग फुट के घर एवं 13,000 व्यावसायिक इकाइयों के लिए दुकानें मुफ्त दिए जाने की योजना है. इसके तहत पुनर्वास योजना को सात वर्षों के भीतर पूरा कर लेने लिए कहा गया है. प्रोजेक्ट के अनुसार जो लोग 1 जनवरी 2000 से पहले से धारावी में रह रहे हैं उन्हें फ्री में पक्का मकान दिया जाएगा. वहीं, जो लोग 2000 से 2011 के बीच आकर यहां बसे हैं, उन्हें इसके लिए कीमत चुकानी होगी.

17 वर्षों में होगा जीर्णोद्धार
महाराष्ट्र सरकार ने 17 वर्षों में धारावी स्लम एरिया के जीर्णोद्धार का लक्ष्य रखा है. यह पूरा प्रोजेक्ट 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का है. सरकार ने वर्ष 2019 में भी धारावी स्लम एरिया के विकास के लिए निविदा जारी की थी पर आगे चलकर उसे विभिन्न कारणों से टाल दिया गया था.
दशकों से लटका है धारावी स्लम का मामला
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई स्थित धारावी की गिनती दुनिया के सबसे बड़े स्लम एरिया के रूप में की जाती है. यह मुंबई के सबसे महंगे एरिया में से एक बाद्रा-कुर्ला कॉम्पलेक्स के पास है. इसके चारो ओर कमर्शियल बिल्डिंग्स हैं. मुंबई में यह स्लम एरिया ऐसी जगह पर है जिसे सोने का टुकड़ा माना जाता है. जमीन अधिग्रहण और पुनर्वास की समस्याओं के कारण दशकों से इस इलाके का जीर्णोद्धार लटका हुआ है.

10 लाख लोग करते हैं निवास
आंकड़ों के अनुसार, 2.8 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले धारावी के एरिया में करीब 60 हजार परिवार निवास करते हैं. यहां की अनुमानित आबादी 10 लाख से अधिक है. यह संख्या देश के कई छोटे शहरों की आबादी से भी अधिक है.
राजनीति भी हुई
वर्ष 1999 में महाराष्ट्र की भाजपा-शिवसेना सरकार ने पहली बार धारावी के लोगों के पुनर्वास का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने धरावी के स्लम एरिया को इंटीग्रेटेड प्लान्ड टाउनशिप (Integrated Planned Township) के रूप में डेवलप करने का फैसला लिया. इसके लिए कार्ययोजना बनाकर निविदा भी निकाले गए, पर आगे चलकर पूर्व की सभी निविदाओं को रद्द कर दिया गया और एक मास्टरप्लान बनाने का फैसला किया.
इसके बाद भाजपा व शिवसेना की तत्कालीन सरकार ने एक स्पेशल पर्पस व्हीकल (Special Purpose Vehicle- SPV) का गठन किया और धारावी की जीर्णोद्धार परियोजना के लिए नोटिफिकेशन निकाला. आगे चलकर इसके लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित की गई. जनवरी 2019 में दुबई स्थित इंफ्रास्ट्रक्चर फर्म सिकलिंक टेक्नोलॉजी कॉरपोरेशन ने अडानी ग्रुप को पछाड़ते हुए धरावी के रिडेवलपमेंट का काम हासिल किया था. लेकिन, रेलवे की जमीन विवाद के कारण कंपनी को काम सौंपा नहीं जा सका.

नवंबर 2020 में महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी का गठबंधन) की सरकार बनी. शिवसेना के उद्धव बालासाहेब ठाकरे, शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस की मदद से मुख्यमंत्री बने. उन्होंने धारावी को लेकर जारी की गई पूर्व की निविदा को निरस्त करने का फैसला लेते हुए आरोप लगाया कि केंद्र की ओर से परियोजना के लिए रेलवे की जमीन हस्तांतरण प्रक्रिया में देरी की गई.
हालांकि वर्ष 2022 में महाराष्ट्र की बदली राजनीतिक परिस्थितियों और एकनाथ शिंदे के भाजपा की मदद से मुख्यमंत्री बनने के बाद शिंदे सराकार ने धारावी के जीर्णोद्धार के लिए फिर से निविदा निकाली और इस बार अडानी ग्रुप की कंपनी ने नमन ग्रुप और डीएलएफ को पछाड़ते हुए काम हासिल कर लिया.
किसने कितनी लगाई बोली?
देश के सबस रईस आदमी गौतम अडानी की अडानी इंफ्रा ने धारावी को लेकर 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. वहीं, मार्केट केपीटलाइजेशन के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने 2,025 करोड़ रुपये की बोली लगाई थी. जबकि, तीसरी कंपनी नमन ग्रुप को बोली प्रक्रिया से हटा दिया गया था. धारावी के रिडेवलपमेंट का प्लान 2004 से चला आ रहा था, लेकिन अब जाकर इसका टेंडर मंजूर हुआ है.

कब बसाई गई थी धारावी?
देश में अंग्रेजी शासन के दौरान 1882 में धारावी को बसाया था. इसको बसाने के पिछे का मकसद मजदूरों को सस्ते में रहने का ठिकाना देना था. लेकिन, धीरे-धीरे यहां लोग बसने लगे और झुग्गी-बस्तियां बन गईं. सरकारी जमीन पर बसे धारावी में लोगों ने अपने खर्चे से झुग्गी-बस्ती बनाई है. यहां इतनी झुग्गी-बस्तियां हैं कि दूर से देखने पर जमीन दिखाई ही नहीं पड़ती. लगभग 600 एकड़ में फैली धारावी में कुछ झुग्गियां तो ऐसी भी हैं, जिनमें कारखाने भी हैं और घर भी. धारावी में रहने वाले लगभग 80 फीसदी से अधिक पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करते हैं.