देश में कोरोना वायरस को लेकर एक बार फिर नए म्यूटेशन ने वैश्विक स्तर पर वैज्ञानिकों को चिंता में ला दिया है। बीते कई सप्ताह से अमेरिका के अंदर कोरोना के नए मामले आने शुरू हो गए हैँ। और उन सभी में वायरस का डेल्टा-3 वैरिएंट मिल रहा है। जो डेल्टा की तुलना में न सिर्फ सबसे ज्यादा फैलने की क्षमता रखता है बल्कि वैक्सीन ले चुके या फिर संक्रमित हो चुके व्यक्तियों को भी फिर से संक्रमण की चपेट में ला रहा है।
मगर भारत में अभी तक डेल्टा-3 का कोई केस नहीं मिला है, लेकिन जीनोम सीक्वेंसिंग की निगरानी कर रहे इन्साकॉग समिति ने अलर्ट जारी कर दिया है। सूचना के अनुसार अक्तूबर 2020 में महाराष्ट्र में सबसे पहले डबल म्यूटेशन मिला । जिससे डेल्टा और कप्पा वैरिएंट बाहर निकल कर आए इसके बाद डेल्टा वैरिएंट से डेल्टा प्लस और एवाई 2 नामक दो और वैरिएंट मिले लेकिन इनके अधिक मामले सामने अभी तक नहीं आए हैं। अब एक और डेल्टा-3 नामक वैरिएंट सामने आ रहा है। जो अमेरिका के ज्यादातर राज्यों में मिला है। भारत में अभी तक एक भी केस नहीं है।
दिल्ली के आईजीआईबी के वैज्ञानिक डॉ. विनोद स्कारिया का कहना है कि वायरस में म्यूटेशन होने के बाद एवाई.3 वेरिएंट मिला है जिसे डेल्टा-3 नाम दिया गया है। इस पर भारत में काफी ध्यान दिया जा रहा है। सामान्य व्यक्तियों के लिए बात करें तो यह समय पूरी तरह से सतर्क रहने वाला है। यह पहले से विदित था कि वायरस में म्यूटेशन होगा। क्योंकि पिछले डेढ़ साल में भारत में ही 230 म्यूटेशन हम देख चुके हैं। इनमें से सभी नुकसान देने वाले नहीं है मगर इनमें से कुछ डेल्टा जैसे चिंताजनक हैं जिनकी वजह से बीते अप्रैल और मई में हमने महामारी को झेला था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि एवाई.3 में डेल्टा प्लस और एवाई.2 जैसा स्पाइक प्रोटीन में के417एन नामक म्यूटेशन नहीं मिला है। यह म्यूटेशन भारत के लिए नया नहीं है। इसलिए डेल्टा 3 और गंभीर कहा जा रहा है क्योंकि इसमें विशेष रूप से ओआरएफ1ए में म्यूटेशन हुआ है। जो वायरल ट्रांसमिशन के संकेत देगा। साथ ही उन्होंने कहा कि फिलहाल भारत में ऐसा मामला नहीं है लेकिन अब निगरानी और अधिक बढ़ गई है। सभी राज्यों से आने वाले सैंपल को सीक्वेंसिंग के दौरान डेल्टा-3 के लिहाज से भी परखा जा रहा है। अगर यह वैरिएंट भारत में मिलता है तो निश्चित ही यह बहद खतरनाक साबित होगा।
दिल्ली एम्स के डॉ. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि हम वायरस के व्यवहार का आकलन नहीं कर सकते हैं । मगर ऐसा देखने को मिल रहा है कि पहले की तरह अब वायरस में म्यूटेशन आगामी महीनों में नहीं मिलेगा। उन्होंने यह दावा सीरो सर्वे के आधार पर किया है लेकिन दूसरी ओर इन्साकॉग का मानना है कि भारत की वर्तमान स्थिति को देखें तो अभी कोई नया म्यूटेशन नहीं मिला है, लेकिन अमेरिका और बाकी देशों सतर्क होने कि जरूरत है। क्योंकि भारत में मिला डेल्टा वैरिएंट अब तक दुनिया के 100 से भी ज्यादा देशों में पहुंच चुका है।