सैकड़ों मीटर तक पानी ही पानी, लहरों की धार को जैसे वायुपुत्र का साथ मिल गया हो। तेज हवाओं के बीच एक-दूसरे से टकराती लहरें। इसकी चपेट में आने का अंजाम एक ही है और वो है मौत। ये लहरें आपकी जान को एक झटके में आपके जिस्म से अलग करने का दम रखती हैं। किसी की सांस को हमेशा के लिये अपने आवेग के आवेश में खामोश कर सकती हैं। ये तस्वीरें इसी सच को बयान करती हैं। कुछ लोगों के साथ ऐसा ही हुआ जब वो टीले पर लोग फंस गये, तब उन्हें अचानक इन उफनती लहरों में यमराज दिखने लगे। इस हालत में किसी का भी कलेजा मुंह को आ जाएगा।
घटना उत्तर प्रदेश के ललितपुर की हैं। इन्हें जिसने भी फंसे देखा वह सन्न रह गया। दूसरे किनारे पर खड़े लोग इन्हें बचाने की जुगत भिड़ाने लगे। लेकिन पानी था कि लगातार बढ़ता ही जा रहा था। क्योंकि ललितपुर और झांसी बॉर्डर पर बांध से छोड़े गए पानी की तेज धार के बीच पहाड़ी पर 6 चरवाहों की जिंदगी अंतिम सांसें गिन रही थी।
कई घंटों की मशक्कत के बाद इसकी सूचना जिला प्रशासन को मिली। जिले के मालिक डीएम मानवेंद्र सिंह सक्रिय हुए, सेना से मदद मांगी। सेना के हेलीकॉप्टर ने उड़ान भरी, मुस्तैद पुलिसकर्मी ने उसे बखूबी रास्ता दिखाया। भारतीय वायु सेना के जांबाज पायलट और उसमें सवार सैन्यकर्मी ने चरवाहों को सुरक्षित एयरलिफ्ट कर लिया। इसके साथ ही सभी छह फंसे लोगों को मानो एक नई जिंदगी मिल गई। सभी चरवाहे सुबह पशु चराने के लिए जंगल में गए थे। इसी दौरान सुकवा-डुकवा बांध से करीब 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। जिसके कारण पहाड़ी के आसपास का सारा इलाका डूब गया और सभी छह चरवाहों की जानें उसमें फंस गईं थीं। लेकिन भारतीय वायु सेना के जांबाजों ने उन्हें सुरक्षित उनके घर तक पहुंचा दिया। मातम की खबर आने के पहले सबों के चेहरों पर मुस्कान बिखेर दी। छह परिवारों को अनाथ होने से बचा लिया।
सवाल एक है कि प्रशासन ने 5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ने के पहले प्रभावित गांवों में खबर क्यों नहीं दी? जाहिर है अधिकारियों की लापरवाही से कई लोगों की जान पर बन आई।
- मयंक सिंह