आक्रोशित किसान 17 अक्तूबर को देशभर में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला फूकेंगे। प्रदर्शन में शामिल किसानों का कहना है कि उन्होंने किसान नेताओं का अपमान किया है।
किसान कानून के खिलाफ देशभर के किसान गुस्से से उबल रहे हैं। उनका प्रदर्शन अभी भी जारी है। पंजाब मे लगातार रेल रोको आंदोलन किसानों द्वारा किया जा रहा है। किसानों का कहना है कि मोदी सरकार ने उन्हें छला है। उनके साथ विश्वासघात किया है।

कुछ दिन पहले ही दिल्ली कृषि भवन के सामने अकाली दल के नेताओं ने जमकर हंगामा भी किया था। पर सरकार के तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।
किसानों का कहना है कि वे अपने प्रदर्शन को और तेज करेंगे और भाजपा को नये कानूनों के तथाकथित लाभ का प्रचार नहीं करने देंगे। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि किसान नेताओं के अपमान के विरोध में 17 अक्तूबर को देश के कई राज्यों मे नरेंद्र मोदी का पुतला दहन किया जाएगा।
कृषि कानूनों के संबंध में केन्द्रीय कृषि सचिव के साथ बैठक के लिए बुधवार को दिल्ली पहुंचे किसान नेताओं ने जब बैठक में किसी केन्द्रीय मंत्री को नहीं देखा तो उठकर बाहर चले गए।
किसानों ने यह भी कहा कि वे अपना रेल-रोको आंदोलन भी नरम नहीं करेंगे। क्रांतिकारी किसान यूनियन के प्रमुख दर्शन पाल ने कहा, ‘‘हम अपना आंदोलन तेज करेंगे।’’ भारतीय किसान यूनियन (दाकुंडा) के प्रमुख बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा, ‘‘हमने तय किया है कि हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।’’
क्या है कानून ?
कृष बिल के आते ही सदन में हंगामा शुरू हो गया था इस बीच 8 सांसदों को निलंबित भी कर दिया गया था। लेकिन हंगामे का कोई असर नहीं हुआ। अखिरी मे तीनों सदनों से कृषि बिल पास हो गया। ये तीन कानून शामिल हैं
- कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020
- मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
- आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020हंगामे का कारण
हंगामें का कारण

इस कानून के कारण किसानों में इस बात का डर बैठ गया है कि एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी। कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है। वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है। इस बात का डर किसानों को सता रहा है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा तो कोई मंडी नहीं आएगा।
साथ ही ये भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी। गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी।