संसद में राजनीतिक घमासान जारी है। कांग्रेस पार्टी जहां बीजेपी को अभी भी राफेल पर घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं बीजेपी ने संकेत दिया है कि वह तीन तलाक बिल पर बढ़ेगी और उसे लोकसभा से पास कराएगी। जैसा कि हम जानते हैं कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव की डेट घोषित होने से ठीक पहले इससे जुड़ा अध्यादेश पास किया गया था। इसमें बिल से जुड़ी विपक्ष की कुछ मांगों को भी शामिल किया गया था।  अब तीन तलाक पर रोक संबंधी विधेयक पर बहस के लिए सरकार व विपक्ष में सहमति बन गई है। और इस बिल पर लोकसभा में 27 दिसंबर को बहस होगी। ऐसे में बीजेपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है।  तीन लाईन के इस व्हिप में बीजेपी ने सभी सांसदों को मौजूद रहने को कहा है।

गौरतलब है कि मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण (तीन तलाक) विधेयक पहले लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन राज्यसभा में यह पारित नहीं हो सका। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी तीन तलाक के मामलों को देखते हुए सरकार को सख्त प्रावधान वाला अध्यादेश के रुप में 19 सितंबर को लेकर आना पड़ा, क्योंकि उस समय संसद की कार्यवाही नहीं चल रही थी। इन्हीं संशोधनों को स्थायी कानून बनाने के लिए सरकार अब नए सिरे से विधेयक लेकर आई है।

विधेयक पर विवाद है विवाद 

बीजेपी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार इसे कुप्रथा मानती है और सख्ती से रोकने की पक्षधर है। इसलिए तीन तलाक (तलाक-ए-बिद्दत)को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा है। साथ ही आरोपी पति के सजा और पीड़िता के लिए क्षतिपूर्ति का प्रावधान किया है।  लेकिन  कांग्रेस सहित तमाम पार्टियां तीन तलाक को अपराध बनाने के खिलाफ है। उनका कहना है कि जब तीन तलाक ही मान्य नहीं है, ऐसे में यह अपराध कैसे होगा। साथ ही परिवार के बिखरने का भी तर्क दे रही हैं। 

तीन तलाक के प्रमुख बातें

– पत्नी, रक्त संबंध के रिश्तेदार और शादी से रिश्तेदार बने लोग ही तीन तलाक की शिकायत कर सकते हैं।
– शिकायत दर्ज होने पर मजिस्ट्रेट की अदालत पत्नी का पक्ष जानने के बाद ही जमानत पर सुनवाई करेगी।
– मजिस्ट्रेट यह सुनिश्चित करेगी कि पीड़िता को पति से आर्थिक मदद दिलाई जाए, मामले में तीन साल सजा।

इसमें महिलाओं को यह अधिकार भी दिया गया है कि वे तीन तलाक की स्थिति में खुद या अपने बच्चों के लिए भरण पोषण की मांग करने के लिए कोर्ट या मैजिस्ट्रेट की शरण में जा सकती हैं। यह अपराध गैरजमानती भी होगा। साथ ही महिला ऐसे मामले में अपने नाबालिग बच्चों की कस्टडी मांग सकती है। ऐसे मामले में मजिस्ट्रेट फैसला लेंगे।

सोमवार को केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा था कि सरकार ने तीन तलाक विधेयक को सरल बनाया है। इसमें जमानत देने का प्रावधान किया जा रहा है लेकिन पीड़िता का बयान लेने के बाद ऐसा होगा।

इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने गांधीनगर में बीजेपी की महिला मोर्चा विंग के अधिवेशन में कहा था कि सरकार ‘कट्टरपंथियों’ और विपक्षी दलों के विरोध तथा बाधाओं का सामना करने के बावजूद तीन तलाक पर कानून बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा था, ‘हम प्रतिबद्ध हैं ताकि मुस्लिम महिलाओं को जिंदगी के एक बड़े खतरे से मुक्ति मिल सके। हमने मुस्लिम महिलाओं के हज पर जाने के लिए उनके साथ किसी पुरुष का साथ होने की शर्त हटा दी।’

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