रंगों का त्योहार होली आने वाली है सभी त्योहारों की तैयारी में जुट गए है। तैयारी में लगे रहने में हम एक विशेष चीज़ का ध्यान रखना अक्सर भूल जाते हैं जिसका नुकसान हमें बाद में चुकाना पड़ता है और वह है खाने पीने की चीजों में होने वाली मिलावट। मिलावटखोर और नकली खोया बनाने वाले हर साल की तरह मौके का फायदा उठाने के लिए सक्रिय हो जाते हैं।

त्योहारों में विशेषकर हर खाद्य वस्तुओं में मिलावट देखने को मिलती है। होली पर खोये की मांग ज्यादा बढ़ जाती है ऐसे में यह अनुमान लगाना बेहद मुश्किल है कि बाजारों में मिलने वाले किस खोऐ में मिलावट है। त्योहारों के चलते खाने-पीने की वस्तुओं और यहां तक की इन चीजों को बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाली सामाग्री में भी मिलावट होना आम बात हो गई है,जिसमें खोया, दुध, मिठाई, तेल, रिफाइंड, चिप्स और पापड़ शामिल है।

हालांकि मिलावट पर रोक लगाने के लिए सुरक्षा एंव औषधि प्रशासन ने बाजारों ने छापेमारी अभियान चलाया है जिसमें खाद्य सामाग्री बनाने वाली मंडिया भी शामिल है। प्रशासन ने 20 दिन में करीबन 15 से अधिक खाद्य पदार्थों के नमूने लिए है इन सभी नमूनों को प्रयोगशाला में भेजा गया है। मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी एके राय के मुताबिक होली के त्योहार पर विभिन्न खाद्य पदार्थो में मिलावट की आशंका और जनता से मिली शिकायतों के आधार पर छापेमारी की जा रही है।

बाजारों में न सिर्फ खाद्य पदार्थों में मिलावट ब्लकि होली के रंगों में भी भारी मात्रा में मिलावट की जाती है। मिलावटी रंगों का इस्तेमाल आपको कई बीमारियों का मरीज बना सकता है, जिसमें स्किन कैंसर और आंखों की रोशनी छिनने जैसी गंभीर बीमारियां शामिल है। होली पर इको फ्रेंडली रंगों का प्रयोग करके इन समस्याओं से बचा जा सकता है, साथ ही आप घर पर भी रंग बना कर होली मना सकते है।

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