जयपुर में राहुल की गरजती जुबान के दौरान एक कांग्रेस कार्यकर्ता की जमकर पिटाई कर दी गई। एक शख्स को घेरकर खड़े कई लोगों में से कुछ लोगों ने उस पर थप्पड़ चलाए। किसी ने लात मारी तो किसी ने गला दबाया। ये पूरी कवायद इसलिये की गई ताकि सौभाग्य चौधरी नामक इस कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज दबाई जा सके। राहुल गांधी जब मोदी और वसुंधरा सरकार पर हमले कर रहे थे तभी कांग्रेस के कई कार्यकर्ताओं ने मिलकर सौभाग्य चौधरी नामक इस कार्यकर्ता पर हमला कर दिया।
वो कहता रहा, मेरी भी बात सुनो,लोग पीटते रहे
कांग्रेस कार्यकर्ता सौभाग्य चौधरी कुर्सी पर खड़े होकर हाथ में एक कागज लेकर अपनी बात कहना चाहते थे। वो बार-बार ये कहते रहे कि उनकी बात सुनो लेकिन उनकी बात अनसुनी रह गई। ऊपर से भीड़ ने उन्हें पीट भी दिया। इस शोर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी विरोधियों पर गरजते रहे वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता अपने ही साथी सौभाग्य चौधरी को पीटते रहे। सौभाग्य चौधरी की आवाज नक्कारखाने में तूती बनकर रह गई। वो कहते रहे कि मेरी भी बात सुनो। लेकिन वहां मौजूद सभी लोग राहुल की बात सुनने में लगे रहे। जहां ये सब हुआ उससे मंच की दूरी भी चंद मीटर की ही थी लेकिन न तो राहुल गांधी ने और न ही किसी अन्य नेता ने उनकी आवाज सुनी और इसे शांत कराने की कोई कोशिश ही की।
लोकतंत्रिक कांग्रेस में असली लोकतंत्र कहां ?
खुद को लोकतांत्रिक परंपरा में विश्वास करने वाली कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के बोलने के दौरान ही कांग्रेस कार्यकर्ता सौभाग्य चौधरी की पिटाई कर दी।लेकिन दाद देनी पड़ेगी सौभाग्य चौधरी की जो मानने को तैयार नहीं था और पूरी तरह अहिंसक होकर अपना विरोध जारी रखा।वह उठा लोगों ने उसे गिराया लेकिन उसने खुद को बोलने देने की मांग की।इस पर वहां मौजूद लोग हिंसक हो उठे और उसे रोकने की हरसंभव कोशिश की।
कांग्रेस कार्यकर्ता का कांग्रेसियों ने दबाया गला
इस दौरान सौभाग्य चौधरी नामक इस कार्यकरर्ता का कुछ लोगों ने गला तक दबा दिया।लोगों ने नीचे गिराकर उसकी पिटाई कर दी।एक ने तो गला तक दबाया।लेकिन वह तो राहुल गांधी से मिलकर अपनी बात रखना चाहता था।16 बिंदुओं पर मोदी सरकार के खिलाफ बोलना चाहता था लेकिन लोगों ने उसे जमकर पीट दिया।जिससे कई मिनटों तक अफरातफरी मची रही।
क्या राहुल गांधी को नहीं दिखी कार्यकर्ता की पिटाई?
ऐसे में सवाल यही कि, जब एक कांग्रेस कार्यकर्ता की बात सुनने की बजाय उसे पीटा जा रहा हो और मंच पर मौजूद राहुल गांधी से लेकर कोई और बड़ा नेता ये सब देखते हुए भी नहीं देख पा रहा हो तो लाखों-करोड़ों लोगों की बात नेताजी कैसे सुनेंगे।पिछले 9 अगस्त को देहरादून में भी कांग्रेस सेवादल के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गये थे।एक-दूसरे की गिरेबान पर हाथ डाल दिये।रोड पर कांग्रेस की एकता का जमकर तमाशा बना डाला।ऐसे में सवाल ये कि क्या ये सत्ता से दूर होते कांग्रेसियों की खींझ है।वैसे सवाल लोकतंत्र की आत्मा जनता की आवाज का है साहेब।क्योंकि इसकी नहीं सुनेंगे तो जनता सुना देगी।क्योंकि सिंहासन से लेकर पैदल करने का अधिकार सिर्फ इसी के पास है।
ब्यूरो रिपोर्ट, एपीएन