विश्वास आपके अन्दर एक नई चेतना विकसित करता है। भगवान जगन्नाथ अपने अन्दर अनेकानेक प्रकार के आध्यात्मिक और अलौकिक रहस्यों को समेटे हुए है। यदि कोई व्यक्ति भगवान के प्रति सम्पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ स्वयं को समर्पित करता है तो वह निश्चय ही महाबाहु के साथ एकाकार हो जाएगा ।
धनंजय कपूर एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत फ़िल्मकार, लेखक और अभिनेता हैं और वह उन तमाम भक्तों में से भी एक हैं जिन्होंने भगवान जगन्नाथ के चमत्कार का अनुभव किया है। आज से लगभग ७ साल पहले उन्हें भगवान के साक्षात अस्तित्व का आभास हुआ ।
फ़िल्मकार का नाता प्रभु से कुछ ऐसा जुड़ा कि उन्होंने भगवान जगन्नाथ की महा गाथा को देश-देशांतर तक नाटक के माध्यम से पहुँचाने का बीड़ा उठाया । उन्होंने अपने नाटक के बारे में बताते हुए कहा कि इस नाटक का मूल श्रोत स्कन्द पुराण है और यह भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलदेव और बहन देवी सुभद्रा के पृथ्वी पर अवतरण की गाथा का मंचन करता है। यह एक बहुत ही मनोरंजक और रोमांचक नाटक है जो सनातान धर्म के मूल सिद्धांतों को दर्शाते हुए हमारी आध्यात्मिक संस्कृति को भी परिलक्षित करता है और धनंजय कपूर जी के अनुसार इन संदेशों को हमारी युवा पीढ़ी तक पहुँचाना नितांत आवश्यक है।
जब हमने धनंजय कपूर जी से पूछा कि इस लाक्डाउन के बंदिशों में उन्होंने कैसे इस नाटक को तैयार किया तो उन्होंने बताया की “भंडीरा ट्री नाट्य संघ” के कलाकार जनवरी से ISKCON मंदिर के सभागार में इस नाटक का पूर्वाभ्यास कर रहे थे, किंतु तभी पूरे देश में लॉकडाउन लग गया। जब लाक्डाउन लगा तब नाटक पूरी तरह से तैयार नहीं हुआ था। नाट्य मंडली को अभी और ३ महीनों के पूर्वाभ्यास की आवश्यकता थी। इसलिए सभी कलाकार उदास हो गए और सोचने लगे कि क्या उनके अभी तक के सारे परिश्रम पर पानी फिर जाएगा…? तभी धनंजय जी को एक युक्ति सूझी – उन्होंने अपने कलाकारों से कहा “लोग आजकल ज़ूम पर सम्मेलन कर रहें हैं, मगर हम ज़ूम पर नाटक का रिहर्सल करेंगे और इस नाटक को पूर्णतयः तैयार करेंगे” । उन्होंने अपने सह कलाकारों से कहा – “उठ बाँध कमर क्यों डरता है, फिर देख प्रभु क्या करता है।”,
धनंजय जी के इन शब्दों ने कलाकारों को “ज़ूम” पर पूर्वाभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया और आज पूरे ६ महीनों के अभ्यास के उपरांत अब यह नाटक पूरी तरह तैयार है ।
धनंजय कपूर जी ने आगे बताया कि उनकी इच्छा थी कि १२ जुलाई, २०२१, प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा वाले दिन, नाटक का प्रथम मंचन हो किंतु COVID की बंदिशों को देखते हुए यह सम्भव नहीं दिख रहा था।
भगवान जगन्नाथ के भक्तों तक उनकी कहानी और संदेश पहुँचाना उनकी तीव्र इच्छा है और इस सोच से वह जूझ ही रहे थी कि तभी फिर उन्हें एक और युक्ति सूझी कि क्यों ना इस नाटक को रेडिओ नाटक में भी परिवर्तित कर दिया जाए और तब यह नाटक रेडिओ प्रसारण के माध्यम से १२ जुलाई को भगवान के समस्त भक्तों तक पहुँच सकता है।
धनंजय कपूर जी ने यह भी साझा किया कि महामारी के कारण उन्हें इस नाटक के लिए कोई प्रायोजक नहीं मिल पाया है और इसलिए वह जन-जन से इस रेडिओ ड्रामा और नाटक के मंचन के लिए राशि इकट्ठा कर रहें हैं। धनंजय जी का यह विश्वास है की संभवतः यह भगवान की ही इच्छा है कि उनके इस नाटक में अधिक से अधिक लोग सहयोग करें ना कि कोई एक बड़ी कम्पनी ।
भजन सम्राट, अनूप जलोटा जी ने इस नाटक की एक आरती को अपना मधुर स्वर प्रदान कर भगवान जगन्नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की है । धनंजय कपूर ने यह भी बताया कि दर्शकों और श्रोताओं कों उच्च स्तरीय नाटक देखने और सुनने को मिलेगा क्योंकि इस नाटक और नाट्य संघ के कलाकार लगभग १० वर्षों से बॉलीवुड में अभिनय कर रहें हैं और मूलतः हिंदी भाषी क्षेत्रों से हैं जैसे बनारस, मेरठ, जौनपुर, पटना, जबलपुर और रायपुर और कुछ कलाकार बंगाल, उड़ीसा और पंजाब से भी हैं ।
देश-विदेश से लोग ‘भगवान जगन्नाथ नाटक’ के फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पेज पर जाकर अपना आर्थिक योगदान दे रहें हैं और जगत के नाथ के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहें हैं । अब धनंजय कपूर और भंडारा ट्री के कलाकारों को उन रेडिओ स्टेशनों की तलाश है जो उनके इस नाटक को इस जगन्नाथ के भक्तों तक ले जाएँगे।