देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाने वाला 2010 का कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला एक बार फिर सुर्खियों में है। खबर है कि संसद की पब्लिक अकांउट्स कमिटी (पीएसी) ने उस विवादास्पद रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की आलोचना हुई थी। रिपोर्ट में मनमोहन सिंह की भूमिका पर खूब छींटाकशी हुई थी।
क्या है रिपोर्ट में?
रिपोर्ट में मनमोहन सिंह को लेकर आलोचनाएं हुई है कि उन्होंने सुरेश कलमाड़ी को खेलों के दौरान अपने हिसाब से फैसले लेने दिए जिसकी वजह से 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ और उन्होंने गेम्स की तैयारियों की निगरानी से पल्ला झाड़ा। प्रधानमंत्री कार्यालय को अपनी जिम्मेदारी बदलने की बजाए प्रभावी फॉलो-अप पर ध्यान देना चाहिए था। तत्कालीन कैबिनेट सचिवालय खेलों के आयोजन से जुड़ी जवाबदेही तय करने में नाकाम रहा।
बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली पीएसी अब कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए घोटाले से जुड़ी इस रिपोर्ट की नए सिरे से जांच कर रही है। कमिटी ने सीबीआई को पूरे मामले की फिर से तहकीकात करने को कहा है। सीबीआई ने मामले में कलमाड़ी और उनके करीबी लोगों पर कुल 33 केस दर्ज किए थे। रिपोर्ट को मोदी सरकार ने भी ठंडे बस्ते में डाल रखा था मगर अब नए सिरे से मामले की जांच होगी और अब उम्मीद जताई जा रही है कि घोटालों की बंद पड़ी फाइलें फिर से खुल जाएंगी।
क्या है कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला-
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला 2010 में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स में सुरेश कलमाड़ी की अध्यक्षता में किया गया था। कॉमनवेल्थ गेम्स में खेल की तैयारी के चरण और आचरण के दौरान कुल सौ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। घोटाले में सुरेश कलमाड़ी, शीला दीक्षित, रॉबर्ट वाड्रा जैसे बड़े बड़े दिग्गजों के साथ अन्य राजनेता, नौकरशाह और व्यवसायी भी शामिल थे।