Long Covid: कोविड-19 के आने के बाद से लोगों के जीवन और स्वास्थ्य पर इसका काफी बुरा प्रभाव पड़ा है। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी पर इसका बुरा असर देखा गया है। हाल ही में एक अमेरिकन स्टडी में बताया गया कि कोरोना से संक्रमित 30 फीसदी लोगों को Long Covid (लॉन्ग कोविड) से जूझना पड़ा है। SARS-CoV-2 के शुरुआती दौर से लेकर आखिर तक वे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ते रहे।
Long Covid: लॉन्ग कोविड के कारण
लॉन्ग कोविड क्यों हो जाता है जब इन कारणों का पता लगाया गया तो पता चला कि ये एक मल्टी- सिस्टम डिसऑर्डर है। जिसमें सांस संबंधी, ह्दय संबंधी(कार्डियो-वैस्कुलर) या मस्तिष्क संबंधी(न्यूरोलॉजिकल) सिस्टम शामिल है। इस तरह के मामले में ब्लड क्लॉट की वजह से खून वाहिकाओं में रुकावट आ जाती है। इसकी वजह से ऑक्सीजन और न्यट्रीशियन की कमी होती है। मल्टी-सिस्टम डीअरेंजमेंट्स और लॉन्ग कोविड के पनपने के पीछे यही असली कारण है।
ऐसे कई मामले मिले हैं, जिनमें मरीजों को सांस लेने में तकलीफ, तेज धड़कन, एंग्जायटी औक सुस्ती जैसे लक्षण विकसित हुए। कोरोना संक्रमण से ठीक होने के बाद भी तीन हफ्ते से नौ हफ्ते में कभी भी ये लक्षण उभर सकते हैं। हालांकि काफी मरीज ऐसे होते हैं, जो कोरोना के हल्के लक्षणों से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है। ऐसे मरीजों में लॉन्ग कोविड की समस्या काफी कम होती है।
Long Covid: क्या ये बीमारी दवा से ठीक हो सकती है?
इसकी पहचान करने के लिए डॉक्टर को यह चेक करना होता है कि क्या रोगी हाइपोक्सिक है औऱ उसमें थ्रोम्बो एम्बोलिक के विकसित होने की संभावना है? यदि ऐसा पाया जाता है तो मरीज को पहले ही दिन से प्रोफिलैक्टिक एंटी-कोएग्युलेट्स दवाएं देने की जरूरत है। इन दवाओं की वजह से उन मरीजों को ब्लीडिंग हो सकती है। इसलिए डॉक्टर इन दवाओं के देने वक्त काफी सावधानी रखते हैं। इसके साथ ही यह जरूरी है कि मरीज पूरी निगरानी में रखा जाए।
संबंधित खबरें: