– रेशू त्यागी
Ram Setu एक अच्छी फ़िल्म है। सधी हुई थीम, यथार्थवादी पृष्ठभूमि और रोचक अन्वेषण से सजी हुई फ़िल्म है। यह फ़िल्म कई रोचक पक्ष उभारती है। जो लोग इस देश की सभ्यता व संस्कृति से प्यार करते हैं उनके पास बस भावनाएं हैं। उनके पास संसाधन नहीं हैं, न ही प्रामाणित करने की कोशिश करते हैं और जो इस संस्कृति और उसकी मान्यताओं के विरोधी हैं वह सर्व साधन संपन्न हैं। वह किसी भी हाल में जाकर इसे नकारने को तैयार हैं।
Ram Setu Review: काल्पनिकता को सिद्ध करने में लगी टीम
फ़िल्म का प्लॉट है कि श्रीराम को प्रमाणित करने वाले मान्यता, आस्था व अपनी व्यवस्था पर निर्भर हैं। जबकि उनके अस्तित्व को नकारने वालों के पास पूरी व्यवस्था है। उनके साथ सरकार है, एएसआई है। मुख्य पात्र डॉ. आर्यन कुलश्रेष्ठ (अक्षय कुमार) को ‘राम काल्पनिक हैं’ यह कहने के लिए कोई प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जबकि इस काल्पनिकता को सिद्ध करने के लिए उन्हें अत्याधुनिक संसाधन देशी-विदेशी वैज्ञानिकों की टीम दी जाती है।
लेकिन, जब उन्हें रामसेतु की सच्चाई समझ आती है और वह पुरातात्विक सर्वेक्षण शुरू करते हैं तो उनकी जान पर संकट आ जाती है। उन्हें भागते फिरते बचना पड़ता है। उनसे अनेक सवाल होते हैं। यही इस फ़िल्म की रोचकता है। रामसेतु का प्रमाण खोजते आर्यन कुलश्रेष्ठ जब श्रीलंका के तट पर पहुंच जाते हैं तो फिर इस फ़िल्म की रोचकता बढ़ जाती है।
Ram Setu Review: रामायण से जुड़े जो ऐतिहासिक स्थल श्रीलंका में हैं, उनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। यह फिल्म उन स्थानों की रोचक यात्रा कराती है। जिसमें सीताअम्मान मंदिर, श्रीपद, रावण फॉल और रावण गुफा आदि स्थानों का वास्तविक फिल्मांकन है। यात्रा के साथ आर्यन उनका पुरातात्विक विवेचन भी करते जाते हैं, जिससे सबको समझने में आसानी होती है।
फिल्म में सबसे अच्छा अभिनय किया है सत्यदेव कांचाराणा ने। आञ्जनेय पुष्पकुमारण उर्फ एपी नाम का वह ‘रहस्यमयी पात्र’ ही इस फ़िल्म का प्राण है। सत्यदेव ने गज़ब का अभिनय किया है। हालांकि, फिल्म जिस उत्साह और अन्वेषण के साथ यात्रा करती है, वह निष्कर्ष तक वैसे नहीं पहुंच पाती। यह पटकथा की कमजोरी है। रामसेतु पर शोध के दौरान जिस तरह से वैज्ञानिक स्थापना व बहस की जा रही हैं, अंत में कोर्ट में उसे मजबूती से कह पाने में फ़िल्म सफल नहीं रही है। वहां आस्था व विश्वास का दोहराव बार-बार हुआ है।
Ram Setu Review: अक्षय कुमार के अभिनय के कुछ दोष छोड़ दिये जायें तो प्रस्तुति की दृष्टि से फ़िल्म बेजोड़ है। पटकथा के स्तर पर थोड़ा और काम हो सकता था। संवाद अच्छे हैं, तार्किक हैं। लेकिन उन्हें भी बेहतर तरीके से कहा जाने का स्कोप रह गया है।
फ़िल्म न सिर्फ नये पक्षों को उभारती है बल्कि संस्कृति व सभ्यता के खिलाफ चल रहे षड्यंत्रों को भी समझाती है। सीखने-समझने वालों के लिए भी इसमें बहुत कुछ है। श्रीलंका के स्थलों व जाफना की खूबसूरती आपको वहां घूमने की भी इच्छा जगा देगी। फ़िल्म ख़त्म होने के बाद आपको कुछ देर तक सोच में भी डूबे रहना पड़ सकता है।
लेखिका का परिचय
लेखिका रेशू त्यागी एपीएन न्यूज़ में सीनियर एंकर के तौर पर कार्यरत हैं। उन्हें दूरदर्शन, न्यूज़ वन इंडिया व साधना न्यूज़,नेशनल वॉइस सहित कई चैनलों में बतौर एंकर काम करने का डेढ़ दशक का अनुभव है। वह मनोरंजन, संस्कृति व अंतरराष्ट्रीय विषयों पर लिखती रही हैं।
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