देश के दो राज्यों गुजरात (Gujarat) एवं हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में हुए चुनावों के आज नतीजें आ रहे हैं. रुझानों के 182 सदस्यों वाली गुजरात विधानसभा में भाजपा (BJP) ने बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है. भाजपा ने 35 सीटों पर जीत दर्ज की है, इसके अलावा 121 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है. वहीं, कांग्रेस (Congress) गुजरात में 2017 में मिली 77 सीटों से घटकर 17 सीटों पर सिमटती हुई नजर आ रही है. भाजपा की ओर से चुनाव की कमान संभाल रहे अमित शाह (Amit Shah) ने चुनाव से पहले ही कहा था कि इस बार भाजपा पिछले सभी रिकार्ड तोड़ देगी.
इसके अलावा पहली बार गुजरात की सभी 182 सीटों पर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी (AAP) भी 5 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है जबकि अन्य के खाते में 3 सीटें जाती दिखाई दे रही हैं. इसके साथ ही भाजपा गुजरात के चुनावी इतिहास की सबसे बड़ी जीत की और अग्रसर है. ये भाजपा की गुजरात के चुनाव में लगातार सातवीं जीत होगी.
2022 का गुजरात विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए कई मायने में खास है. 27 साल से प्रदेश की सत्ता पर काबिज भाजपा के लिए गुजरात इसलिए भी मायने रखता है क्योंकि ये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है और विपक्ष का लक्ष्य ये था कि मोदी को उनके गृह राज्य में ही घेरकर 2024 के लिए माहौल बनाया जाए.
Gujarat में 2017 के मुकाबले 2022 में क्या बदला?
2017 में हुए विधानसभा चुनाव में गुजरात में BJP को 99 सीटें मिली थी. आंकड़ों के हिसाब से इस बार भाजपा को 57 सीटों का फायदा होता दिख रहा है. वहीं, कांग्रेस को 2017 में 77 विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी लेकिन इस बार वो महज 17 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. साफ तौर पर गुजरात में कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है.
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क्या BJP बनायेगी नया रिकार्ड?
गुजरात के चुनावी में भाजपा 27 वर्षों से सत्ता में है. इस बार भाजपा रिकॉर्ड जीत के साथ सरकार बनाती हुई नजर आ रही है. इससे पहले, भाजपा को इतनी बड़ी जीत 2002 में मिली थी जब तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (मौजूदा प्रधानमंत्री) के नेतृत्व में लड़े गए 2002 के चुनाव में भाजपा ने 127 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं, इस बार यह आंकड़ा 155 तक पहुंच गया है. 2002 में नरेंद्र मोदी ने दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपल ली थी.
अगर ये रुझान नतीजों में तब्दील हो जाते हैं, तो भाजपा 1985 में KHAM फार्मूले के तहत कांग्रेस के माधव सिंह सोलंकी द्वारा बनाए गए 149 सीटें जीतने का रिकॉर्ड तोड़ देगी. चुनाव प्रचार के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि- नरेंद्र का रिकॉर्ड भूपेंद्र तोड़ेंगे.
इसके साथ ही कांग्रेस गुजरात में 1960 से लेकर 1995 तक में अलग-अलग समय में करीब 27 सालों तक सत्ता संभालती रही है जबकि 1995 से भाजपा लगातार सत्ता में रही है बीच में कुछ दिनों के लिए शंकर सिंह वघेला सत्ता में रही है.
AAP की दस्तक से हुआ फायदा?
शुरूआती चुनावी रुझानों में जैसा देखने को मिल रहा है इससे ऐसा माना जा रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खेल आम आदमी पार्टी ने बिगाड़ा है. गुजरात में आप 6 सीटों पर लीड बनाए हुए है और चुनाव आयोग के मुताबिक, आप को गुजरात में 12.73 फीसदी से ज्यादा वोट मिल चुके हैं. वहीं, कांग्रेस को अभी तक हुई मतगणना में 26.94 फीसदी वोट मिले हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस का वोट ‘आप’ की ओर शिफ्ट हुआ जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला है.
प्रधानमंत्री मोदी ने की रैलियों ने निभाई बड़ी भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुजरात में 31 से ज्यादा चुनावी रैलियों को संबोधित किया था. इसके अलावा उन्होंने 3 बड़े रोड शो भी किए, जिसका सीधा फायदा भाजपा को हुआ. भाजपा के सबसे बड़े नेता नरेंद्र मोदी के मार्चा संभालने के बाद लोगों ने सिर्फ पीएम मोदी के चेहरे पर भाजपा को वोट दिया जिससे ये इतनी बड़ी जीत हासिल हुई. इसके अलावा गुजरात को बीते नौ महीनों में लगभग दो लाख करोड़ के प्रोजेक्टस मिले, जिसको भाजपा ने भुनाते हुए कहा कि वो ही गुजरात का विकास कर सकती है.
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2022 के लिए BJP ने बदली रणनीति?
भाजपा ने 2017 में 100 से भी कम सीटों पर सिमटने से सबक लिया और पाटीदार एवं आदिवासी समाज की नाराजगी को दूर करने का लगातार प्रयास करती रही. गुजरात की कुल आबादी में करीब 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले पाटीदार समाज को संतुष्ट करने के लिए भाजपा ने मुख्यमंत्री तक को ही बदल दिया. विजय रूपाणी की जगह पाटीदार समाज के भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बनाया. इसके अलावा अगले सीएम के तौर पर भी भूपेंद्र पटेल को ही पेश किया .
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पाटीदार एवं पिछड़ा आंदोलन के नेतृत्वकर्ताओं हार्दिक पटेल व अल्पेश ठाकोर (Hardik Patel and Alpesh Thakor) को भाजपा में शाामिल कराया गया. अब ये दोनों ही भाजपा प्रत्याशी हैं और जीत की ओर अग्रसर हैं. आदिवासी समाज को साधने के लिए पार्टी ने समाज में तेजी से आगे बढ़ रही निमिषाबेन मनहरसिंह सुथार (निमिषा सुथार) को मंत्री बनाया और उन्हें पार्टी के आदिवासी चेहरे के रूप में पेश किया.
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Congress की उम्मीदों को भी दिया झटका
कांग्रेस के लिए गुजरात में 2017 का चुनाव अर्से बाद 2017 में उम्मीद की किरण लेकर आया था लेकिन 2022 के चुनाव ने सबकुछ धाराशायी कर दिया. 2017 के चुनाव में कांग्रेस को मिली बड़ी सफलता के बाद भाजपा को लगातार रणनीति बदलनी पड़ी. आदिवासियों एवं पाटीदारों में कमजोर होने और इन समूहों के कई नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस प्रदेश में ओर कमजोर हुई है.