Holi Story: Holi का नाम सुनते ही एक अलग ही खुशी और उत्साह महसूस होने लगता है। इस रंगों के त्योहार को बच्चे से लेकर बड़े सब धूमधाम से मनाते हैं। यूं तो होली हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है लेकिन इसे हर जगह हर धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं। एक दो दिन पहले से ही हर तरफ इसके रंग से रंगे लोग नजर आने लगते हैं। अगर देखा जाएं तो हर त्योहार के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा छुपी होती है। ठीक वैसे ही होली की भी एक पौराणिक कथा है।

Holi Story: एक दिन पहले जलाई जाती है होलिका
Holi Story: होली का त्योहार काफी प्राचीन समय से मनाया जा रहा है। यहां तक कि माना जाता है भगवान श्रीकृष्ण की सबसे पसंदीदा त्योहार होली थी। इसका वर्णन भारत की बहुत से पवित्र पौराणिक पुस्तकों में भी किया गया है। होली से एक दिन पहले पार्कों, सामुदायिक केन्द्रों, मंदिर परिसर आदि में होलिका दहन की जाती है। हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है। इसे छोटी होली भी कहा जाता है। साथ ही लोग इस दिन अलग-अलग प्रकार के व्यंजन भी बनाए जाते हैं जैसे गुजिया, मिठाई, मठ्ठी, मालपुआ, चिप्स आदि।

Holi Story: होली की पौराणिक कथा; बुराई पर है अच्छाई की जीत का प्रतीक
होली की सबसे प्रमुख कहानी प्रह्लाद और हिरण्कश्यप की है। ऐसा माना जाता है कि हिरण्कश्यप एक महाबलशाली राक्षस था जिसे ब्रह्म देव से वरदान मिल चुका था। इस वरदान के कारण यह असुर काफी ज्यादा घमंडी हो गया था। ब्रह्म देव ने हिरण्कश्यप को यह वरदान दिया था कि उसे न नर मार पाएगा न ही जानवर, न आकाश में न पाताल में, न दिन में न रात में, न ही घर में और न ही बाहर। इसके बाद से वह खुद को ही देवता मानने लगा।

Holi Story: उसने लोगों पर अत्याचार करना शुरू कर दिया था कि सभी लोग उसी की पूजा करें। जो भी भगवान विष्णु की पूजा करते थे वो उन भक्तों का वध कर देता था। उसे अपने छोटे भाई के वध का बदला लेना था जिसे विष्णु भगवान ने मारा था। हिरण्कश्यप का एक पुत्र था प्रह्लाद, वह बचपन से ही भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था। हिरण्कश्यप ने बहुत प्रयास किया कि उसका बेटा भगवान की पूजा करना छोड़ दें लेकिन वो हर बार असफल रहता था। उसे अपने पुत्र से नफरत हो गई थी।

Holi Story: वो उसे बिल्कुल पसंद नही करता था। परेशान होकर उसने षड्यंत्र रचा कि अब वह अपने ही पुत्र का वध करेगा। जिसके लिए उसने कई प्रयास किए लेकिन वह सब में असफल रहता था। अपने सभी प्रयासों के बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद लेने की सोची। उसकी बहन होलिका को भी भगवान शिव से वरदान मिला था जिसमें उसे भगवान शिव के द्वारा एक चादर दी गई थी जिसे ओढ़ने के बाद वो कभी जल नही सकती थी। हिरण्कश्यप ने बहन होलिका को आदेश दिया कि वो चादर ओढ़कर आग के बीच में प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ जाएं जिसमें चादर की वजह से वह तो बच जाएगी पर उसका बेटा जल कर मर जाएगा।

Holi Story: इसके लिए पूरी व्यवस्था की गई। अपने भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और उसके चारों ओर आग की लपटें फैला दी गई। प्रह्लाद लगातार भगवान विष्णु का जाप करता रहा और भगवान के आशीर्वाद से एक तेज तूफान आया। इस तूफान की वजह से वो चादर होलिका के शरीर से उड़ कर प्रह्लाद पर आ गई जिससे होलिका जल कर राख हो गई और प्रह्लाद को आग ने छुआ तक नहीं। इसी के बाद से होलिका दहन कर इस बात का संदेश के दिया जाता है कि बुराई पर हमेशा सच्चाई की जीत होती है।
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