नवरात्र भक्ति का महीना तो है हि साथ में मन की शुद्धी और दिमाग की शांति का पर्व भी है लेकिन कोरोना के कारण इंसान परेशान है। मन की शांति नहीं है। साथ ही इस बीमारी से कैसे छुटकारा मिलेगा। इसका कोई इलाज नहीं मिल रहा है।
पर देवी मां सभी कष्टो को दूर करने के लिए आरही है। कोरोना से छुटकारा पाने के लिए तीन तरह के व्रत कहे गए हैं। एक काय यानी शरीर से। दूसरे वचन से। तीसरा कर्म से। मानसिक जाप सर्वश्रेष्ठ है। यूं श्री दुर्गा सप्तशती वाचन का पाठ है। लेकिन वायरस के चलते इसमें हमको कीलकम का पालन करना होगा। श्रीदुर्गा सप्तशती का यह अध्याय गुप्त है। महामारी नाशक है। इसलिए कीलक का पाठ करें।
पूजा शुरू करने से पहले घर को हल्दी से धोए या फिर हल्दी का छिड़काव करे हल्दी से नकारात्मकता खत्म हो जाती है। हल्दी का उपोयग अधिक करे।
कोरोना के कारण धर्माचार्यों की सलाह है कि देवी पाठ बोलकर नहीं वरन मानसिक करें। जितना मानसिक जाप करेंगे, उतना ही स्वास्थ्य की दृष्टि से श्रेष्ठ रहेगा। पीतांबरा, शाकुंभरी, कात्यायनी, चंडिका और कूष्मांडा देवी की विशेष आराधना करें। लेकिन ज्यादा कर्मकांड से बचें। सामर्थ्य के अनुसार व्रत रखें लेकिन खाना कम खाएं।
इस मंत्र का करे जाप कोरोना से पाए मुक्ति
“रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥” (अ॰११, श्लो॰ २९)
अर्थ :- देवि! तुम प्रसन्न होने पर सब रोगों को नष्ट कर देती हो और कुपित होने पर मनोवाञ्छित सभी कामनाओं का नाश कर देती हो। जो लोग तुम्हारी शरण में जा चुके हैं, उन पर विपत्ति तो आती ही नहीं। तुम्हारी शरण में गये हुए मनुष्य दूसरों को शरण देनेवाले हो जाते हैं।
या
ऊं ह्लीं ऊं
या
ऊं ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं चामुण्डायै विच्चे
(श्रीदुर्गा सप्तशती में महामारी का उल्लेख है। महामारी नाश और आरोग्यता के लिए संपूर्ण देवी पाठ है। विधि-विधान से नहीं हो पाए तो सूक्ष्म में यह करें।
इस तरह करे पूजा
- देवी कवच, अर्गला स्तोत्र और कीलकम, सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ ( कीलकम् और कवच का पाठ अधिक करें)
- देहि सौभाग्यम-आरोग्यम देहि मे परमं शिवम् का जाप करें
- जाप बोलकर नहीं करें क्यों कि कोरोना वायरस फैल रहा है
- इस बार मानसिक पूजा करें।
- एकांत पूजा करें। सामूहिक एकत्रीकरण से बचें
- परिवारीजन दूर-दूर बैठें या घर का मुखिया सभी का नाम लेते हुए घट स्थापना कर दे