2007 में राजस्थान के अजमेर दरगाह में हुए भीषण धमाके के मुख्य आरोपी स्वामी असीमानंद को सीबीआई की विशेष अदालत ने बरी कर दिया है। स्वामी असीमानंद को अजमेर, हैदराबाद और समझौता एक्सप्रेस में हुए धमाकों के मामले में 19 नवंबर 2010 को उत्तराखंड के हरिद्वार से गिरफ्तार किया गया था। अजमेर स्थित सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह परिसर में आहता ए नूर पेड के पास 11 अक्टूबर 2007 को हुए बम विस्फोट मामले में स्वामी असीमानंद को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। इस मामले के 9 अभियुक्तों में से 3 सुनील जोशी, भावेश और देवेंद्र गुप्ता को दोषी करार दिया गया है। सुनील जोशी की मृत्युल हो चुकी है।
एनआईए मामले की विशेष अदालत को इस मामले में फैसला 25 फरवरी को ही सुनाना था लेकिन दस्तावेजों और बयानों को पढ़ने और फैसला लंबा होने के कारण लिखने में समय लगने की वजह से अदालत ने फैसला सुनाने के लिए 8 मार्च की तारीख तय की थी। आपको बता दें कि 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह परिसर में हुए बम विस्फोट में तीन लोग मारे गए थे और पंद्रह लोग घायल हो गए थे। विस्फोट के बाद पुलिस को तलाशी के दौरान एक लावारिस बैग मिला था, जिसमे टाइमर डिवाइस लगा जिंदा बम रखा था।
एनआईए ने 13 आरोपियों के खिलाफ चलान पेश किया था जिनमें से 8 को 2010 से न्यायिक हिरासत में बंद कर दिया गया था। न्यायिक हिरासत में बंद आठ आरोपी स्वामी असीमानंद ,हषर्द सोलंकी, मुकेश वासाणी, लोकेश शर्मा, भावेश पटेल, मेहुल कुमार ,भरत भाई, देवेन्द्र गुप्ता हैं। एक आरोपी चन्द्र शेखर लेवे जमानत पर है।