Wheat Export In India: भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी गई है। सरकार ने अपने इस फैसले पर तर्क दिया है कि गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने से इसकी बढ़ती कीमतों को नियंत्रित किया जा सकता है। सरकार के मुताबिक पिछले साल गेहूं और आटे की कीमतों में 15 से 20 फीसदी तक बढ़ोतरी देखी गई थी इसलिए निर्यात पर रोक लगाकर कीमतों पर काबू पाया जा सकता है।

Wheat Export In India: सरकार के फैसले को बताया “किसान विरोधी”
सरकार के गेहूं निर्यात के फैसले की देश के कई राज्यों में कड़ी आलोचना की जा रही है। इस फैसले पर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने आलोचना करते हुए कहा कि इस फैसले से गेहूं की मांग में कमी होगी और इससे किसानों को काफी नुकसान होगा।
वहीं, विपक्षी दल कांग्रेस का कहना है कि यह फैसला किसान विरोधी है। पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने कहा कि इस साल गेहूं का निर्यात कम नहीं हुआ है बल्कि सरकार ने गेहूं खरीदा नहीं है।
Wheat Export In India: विश्व के कई देश कर रहे आलोचना
सात औद्योगिक देशों के समूह G-7 ने भारत सरकार के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। सरकार के इस फैसले पर जर्मनी के कृषि मंत्री केम ओजडेमिरो ने शनिवार को कहा कि अगर गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी जाएगी तो इससे कई देशों में आपदा बढ़ेगी और बाजार बंद होने लगेंगे। कई देश के मंत्रियों का कहना है कि भारत सरकार ने बिना किसी देश के बारे में सोचे यह फैसला लिया है।
Wheat Export In India: इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते कई देश के लिए खाद्य संकट खड़ा होने वाला है और ऐसे में सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया। संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के चीफ इकोनॉमिस्ट आरिफ हुसैन ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले ही वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, इंटरनेशलन मॉनेट्री फंड, वर्ल्ड बैंक और वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन जैसी संस्थाओं ने सरकार से गेहूं निर्यात पर रोक न लगाने की अपील की थी।
Wheat Export In India: कई देशों में तत्काल खाद्य मदद की जरूरत
गेहूं के उत्पादन के लिए भारत बड़े देशों में से एक है लेकिन इस साल गेहूं के उत्पादन गिरावट बताई जा रही है। सरकार के अनुसार पिछले साल के मुकाबले इस साल गेहूं के कीमतों में 15-20 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है, जिसपर काबू पाने के लिए भारत सरकार ने यह फैसला लिया है।
ग्लोबल फूड क्राइसिस के रिपोर्ट के मुताबिक इस साल पूरे विश्व में 19.3 करोड़ से ज्यादा लोग खाने की संकट का सामना कर रहे हैं जो कि साल 2020 के तुलना में 4 करोड़ से भी ज्यादा है। इसमें लगभग 53 ऐसे देश शामिल हैं जहां तत्काल खाने की मदद पहुंचनी चाहिए वरना 2022 में ये संकट और भी अधिक बढ़ सकता है।
Wheat Export In India: इन देशों की स्थिति है बेहद खराब
पिछले साल खाने की संकट में इन 10 देशों से 70 फीसदी लोग शामिल थे। बताया जा रहा है कि कांगो, अफगानिस्तान, इथियोपिया, यमन, उत्तरी नाइजीरिया, सीरिया, सूडान, दक्षिणी सूडान, हैती और पाकिस्तान की स्थिति सबसे खराब है।
बताया जा रहा है कि कोरोना महामारी के बाद बांग्लादेश की स्थिति थोड़ी सुधरी ही थी कि तब तक रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया।
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