ई-कॉमर्स वेबसाइट स्नैपडील ने 600 कर्मचारियों की छंटनी कर दी है। इसके साथ ही स्नैपडील के सह संस्थापक कुणाल बहल और रोहित बंसल ने अपने वेतन में शत-प्रतिशत कटौती का फैसला भी किया है। ख़बरों के मुताबिक कंपनी ने यह फैसला कैश बचाने और अपनी कंपनी को मुनाफे में लाने के लिए किया है। कंपनी ने अपने डिजिटल वॉलेट फ्रीचार्ज को बेचने की प्रकिया भी शुरू कर दी है। फ्रीचार्ज को 30 करोड़ डॉलर में बेचने के लिए स्नैपडील की तरफ से रणनीतिक अधिकारी बनाये गए जेसन कोठारी दक्षिण अफ्रीका के इंटरनेट ग्रुप नेस्पर्स से बातचीत कर रहे हैं और जल्द ही यह प्रक्रिया पूरी हो सकती है।

इस फैसले को लागू करने से पहले स्नैपडील के सह संस्थापक कुणाल बहल और रोहित बंसल ने कर्मचारियों को ईमेल भेजा था। ईमेल में उन्होंने लिखा है कि कंपनी को मुनाफा दिलाने के लिए दूसरे कर्मचारी भी कम वेतन लेने को तैयार हुए हैं। कुणाल बहल ने यह भी लिखा है कि, “कंपनी के सभी संसाधनों का इस्तेमाल मुनाफे में लाने के लिए होना चाहिए। इस घोषणा के साथ मैं और रोहित दोनों 100 पर्सेंट सैलरी कट को स्वीकार कर रहे हैं।” हमारे कई अधिकारियों ने भी अपनी तरफ से पहल करके वेतन में कटौती का प्रस्ताव दिया है।

इस फैसले की वजह कंपनी को वर्ष 2015-16 में 2,960 करोड़ रुपए का घाटा होना भी माना जा रहा है। दरअसल स्नैपडील के घाटे और छंटनी के पीछे जो वजहें बताई जा रही हैं, उसमें से एक ये है कि कंपनी के पास इन हाउस लॉजिस्टिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। अन्य वजहों में  जरुरत से ज्यादा विस्तार और 13 से ज्यादा कंपनियों के अधिग्रहण पर हुए खर्च भी शामिल हैं।

ई-कॉमर्स कंपनियों में इससे पहले भी बड़े पैमाने पर कर्मचारियों को छंटनी होती रही है।  स्नैपडील ने इससे पहले फरवरी 2016 में 200 लोगों की छंटनी की थी। साल 2016 में ही जुलाई महीने में फ्लिपकार्ट ने 700 लोगों को नौकरी से निकाला था। इसके बाद जोमैटो, टाइनी आउल, ग्रॉफर्स जैसी बड़े ई-कॉमर्स कंपनियों ने भी स्थिति सुधरने के लिए बड़े पैमाने पर छंटनी की थी। फूडपांडा ने दिसंबर 2015 में करीब 300 कर्मचारियों को निकाला था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here