सार्वजनिक उपक्रम की कंपनियों (पीएसयू), सरकारी वित्तीय संस्थानाओं (सरकारी बैंक और बीमा कंपनियां) में कार्यरत पिछड़े वर्ग के अधिकारियों के बच्चों को अब आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। मोदी कैबिनेट की हुई बैठक में कल यह फैसला लिया गया। इसके अनुसार अब क्रीमी लेयर के दायरे में पीएसयू, बैंक और बीमा कंपनियों के अधिकारी भी आएंगे। इससे पहले क्रीमी लेयर का नियम सिर्फ केन्द्र सरकार की नौकरियों में ही लागू होता था।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद अब पीएसयू में एग्जिक्युटिव स्तर के सभी पद जैसे बोर्ड स्तर के एग्जिक्युटिव और मैनेजर स्तर के पदों को सरकारी ग्रुप ‘ए’ सेवा के समतुल्य माना जायेगा। वहीं सरकारी बैंकों और बीमा एवं वित्तीय कंपनियों में जूनियर प्रबंधन ग्रेड स्केल-1 और उसके ऊपर स्तर के अधिकारी भारत सरकार के ग्रुप ‘ए’ अधिकारियों के बराबर माने जाएंगे।

फैसले की जानकारी देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि यह फैसला पिछले 24 सालों से लटका हुआ था। उचित नियम न होने के कारण इन कंपनियों में काम करने वाले वरिष्ठ अधिकारियों के बच्चे आरक्षण का गलत फायदा उठा रहे थे जबकि उन्हें दरअसल क्रीमी लेयर में आना चाहिए। इसके कारण जिन निचले स्तर के कर्मचारियों के बच्चे आरक्षण पाने के हकदार होते थे उनका हक मारा जा रहा था। जेटली ने कहा अब नियमों में बदलाव करके इस गलती को सुधार लिया गया है। इस फैसले का मकसद आरक्षण का लाभ इन संस्थानों में छोटे पदों पर काम कर रहे ओबीसी कर्मचारियों और उनके बच्चों तक पहुंचाना है।

आपको बता दें कि देशभर में करीब 300 पीएसयू कंपनियां हैं, जिनमें एनटीपीसी, ओएनजीसी, सेल, भेल, आईओसी और कोल इंडिया जैसी कंपनियां शामिल हैं। वहीं सरकारी वित्तीय संस्थानों में एसबीआई, बीओआई, बीओबी, पीएनबी जैसे सरकारी बैंक और एलआईसी जैसी सरकारी बीमा कंपनियां आती हैं। अगर सरकारी बैंकों और बीमा कंपनियों को भी इसमें शामिल किया जाए तो इस फैसले का असर लाखों परिवारों पर पड़ेगा।

गौरतलब है कि अभी पिछले हफ्ते ही केंद्र सरकार ने क्रीमी लेयर के दायरे को बढ़ाकर 6 लाख से 8 लाख रूपये कर दिया था।

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