बैंकिग सेक्‍टर को मोदी सरकार बड़ी सौगात देने जा रही है। वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष के बचे हुए महीनों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 83,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी।

वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकों के एनपीए की पहचान लगभग पूरी हो चुकी है। बिना पहचान वाले एनपीए अब 0.59 फीसदी हैं जो मार्च 2015 में 0.7 फीसदी के करीब थे। उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही का आंकड़ा दिखाता है कि इसमें सुधार हुआ है।

जेटली ने कहा कि अगले कुछ महीनों में पब्‍लिक सेक्‍टर के बैंकों में सरकार 83,000 करोड़ रुपये डालेगी। इससे सरकारी बैंकों के कर्ज देने की क्षमता में इजाफा होगा और उन्हें आरबीआई के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (पीसीए) से बाहर आने में मदद मिलेगी।

इससे पहले सरकार ने सरकारी बैंकों में अतिरिक्त 41,000 करोड़ रुपये डालने की संसद से मंजूरी मांगी थी। इस अतिरिक्त पूंजी से मौजूदा वित्त वर्ष में कुल रीकैपिटलाइजेशन 65,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.06 लाख करोड़ रुपये हो जाएगी।

नवंबर में सरकार ने कहा था कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक (मार्च तक) कर्जों के डूबने से खस्ताहाल हुए सरकारी बैंकों में 42,000 करोड़ रुपये की पूंजी डालेगी, ताकि उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हो।

बता दें कि देश के विकास दर को बढ़ावा देने के लिए 2017 के अक्टूबर में सरकारी बैंकों में अगले 2 वर्षों में 2.11 लाख करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की थी। जुलाई में सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक, इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और कॉर्पोरेशन बैंक में 11,336 करोड़ रुपये की रकम डाली थी।

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