केंद्रीय मंत्रिमंडल ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत राष्ट्रीय मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दे दी है। इस प्राधिकरण के गठन के पीछे मकसद नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में घटी दरों का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाना है।

बता दें कि सरकार ने जीएसटी के तहत 200 से ज्यादा वस्तुओं पर टैक्स में की गई कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने को सुनिश्चित करने के लिए गुरुवार को “नेशनल एंटी-प्रॉफिटियरिंग अथॉरिटी” (एनएए यानी “ना”) या राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण के गठन को मंजूरी दी। एनएए का काम ही होगा इस बात की निगरानी करना कि जो लोग जीएसटी में टैक्स कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचाने के बजाय खुद हड़प रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। 15 नवंबर  से ही तमाम चीजों पर जीएसटी की घटी हुई दरें लागू हुई हैं, जिनमें रेस्टोरेंट में खाने पर जीएसटी 18 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी करना शामिल है।

कल केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि अब सिर्फ 50 वस्तुएं जीएसटी की 28 प्रतिशत के ऊंचे कर स्लैब में रह गई हैं। वहीं कई वस्तुओं पर कर की दर को घटाकर पांच प्रतिशत किया गया है। प्रसाद ने कहा, राष्ट्रीय मुनाफारोधी प्राधिकरण देश के उपभोक्ताओं के लिए एक विश्वास है। यदि किसी ग्राहक को लगता है कि उसे घटी कर दर का लाभ नहीं मिल रहा है तो वह प्राधिकरण में इसकी शिकायत कर सकता है। रविशंकर प्रसाद की माने तो यह सरकार की इस बारे में पूर्ण प्रतिबद्धता को दर्शाता है कि वह जीएसटी के क्रियान्वयन का पूरा लाभ आम आदमी तक पहुंचाना चाहती है।

इसके तहत यदि किसी कंपनी या प्रतिष्ठान ने जीएसटी में टैक्स कटौती का फायदा उपभोक्ताओं को नहीं दिया तो अथॉरिटी को उस कंपनी या प्रतिष्ठान का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार होगा। लेकिन यह कार्रवाई अंतिम विकल्प होगी। इसके सिवाय अथॉरिटी जुर्माना भी लगा सकेगा।

गौरतलब है कि कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा के नेतृत्व में एक पांच सदस्यीय कमेटी होगी, जो अथॉरिटी के चेयरमैन और सदस्यों के नाम तय करेगी। चयन कमेटी में राजस्व सचिव हसमुख अढिया, सीबीईसी चेयरमैन वी. सरना और दो राज्यों के मुख्य सचिव भी होंगे। अथॉरिटी का कार्यकाल उसके चेयरमैन के पद ग्रहण करने की तारीख से दो साल का होगा। अथॉरिटी के चेयरमैन और चार सदस्यों की उम्र 62 साल से कम होगी।

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