भारत के ई-कॉमर्स के बाजार में सबसे नामी वेबसाइट फ्लिपकार्ट की हाल ही में चांदी हो गई। फ्लिपकार्ट ने सोमवार को जानकारी दी कि सॉफ्टफेयर दिग्गज माइक्रोसॉफ्ट, चीन की सर्वाधिक मूल्यवान ब्रांड टेनसेंट(ऑनलाइन कंपनी) और ई-बे ने फ्लिपकार्ट से हाथ मिला लिया है यानि कि तीनों कंपनियों ने फ्लिपकार्ट में निवेश (इनवेस्टमेंट) की है।

फ्लिपकार्ट कंपनी 2007 में शुरु की गई थी और दस साल के इतिहास में तीनों कंपनियों से हुआ यह निवेश अब तक की सबसे बड़ी फंडिंग मानी जा रही है। साथ ही यह भारतीय स्टार्टअप पर किया गया सबसे बड़ा निवेश है। आंकड़ों की बात करें तो फ्लिपकार्ट को कुल मिलाकर 1.4 बिलियन डॉलर यानि 1.4 अरब डॉलर का फंड मिला है।

ई-बे का फ्लिपकार्ट से हाथ मिलाने के बाद अब फ्लिपकार्ट का ई-बे के भारतीय बिजनेस पर अधिग्रहण हो जाएगा। मगर ई-बे कंपनी फ्लिपकार्ट की छत्रछाया में अपना भी स्वतंत्र बिजनेस जारी रखेगी। फ्लिपकार्ट में इक्विटी स्टेक के बदले e-Bay ने कैश निवेश किया है। जिसकी अमाउंट है 500 मिलियन डॉलर। कंपनी में इन तीन नए निवशकों के अलावा पुराने निवेशकों में टाइगर ग्लोबल मैनेजमेंट, नैस्पर्स ग्रुप, एसेल पार्टनर्स और डीएसटी ग्लोबल शामिल हैं।

निश्चित तौर पर फ्लिपकार्ट के फाउंडर सचिन बंसल और बिनी बंसल के लिए बेहद खुशी की बात है कि इन तीन कंपनियों ने भारत में फ्लिपकार्ट को अपना पार्टनर चुना। उनका कहना है कि फ्लिपकार्ट और भारत के लिए यह लैंडमार्क डील है और भारत के ई-कॉमर्स में यह सबसे बड़ा सौदा भी है। यह हमारे टेक कौशल, इनोवेटिव माइंडसेट और कमर्शियल सेक्टर बाजारों में संभावनाओं को साबित करती है। यह निवेश इस बात का प्रमाण है कि भारत में रोजमर्रा की जिंदगी में स्वदेशी टेक इकोसिस्टम काफी सहयोग कर रहा है।

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