अक्सर सफर के दौरान लोग प्यास लगने पर नल या हैण्डपंप के पानी की बजाय बोतल बंद पानी पीना पसंद करते हैं क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पानी के अन्य स्त्रोतों की अपेक्षा बोतल बंद पानी सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है। लेकिन अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सावधान हो जाइए, ऐसा कुछ नहीं है। शोधकर्ताओं का मानना हैं कि सिर्फ मौत के डर की वजह से ही बोतल बंद पानी की बिक्री बढ़ी है, अन्यथा ऐसा नहीं है कि बोतल में बंद पानी ज्यादा शुद्ध है।
एक अध्यन्न में ये खुलासा हुआ है कि मौत के प्रति लोगों के बढ़ रहे भय की वजह से ही बोतल के पानी को प्राथमिकता दी जा रही हैं, ऐसा बिलकुल नहीं है कि बोतल में बंद पानी ज्यादा साफ होता है। शोधकर्ताओं ने बताया, विज्ञापनों द्वारा बोतल के पानी के लगातार प्रचार को भी बोतल के पानी की बढ़ती बिक्री के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। पानी बेचने वाली कंपनियों ने प्रचार के जरिए इतना डराया है कि लोग नल का पानी पीने से डरने लगे हैं।
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू ने सोशल साइकोलॉजी टेरर मैनेजमेंट थ्योरी का इस्तेमाल कर एक रिसर्च किया, जिसमें चौकाने वाले परिणाम सामने आए। रिपोर्ट के मुताबिक, जो लोग बोतलबंद पानी खरीदते हैं, वे भी अच्छे से जानते हैं कि बोतलबंद पानी से कुछ खास फाएदा नहीं है, लेकिन मौत के डर से वो मजबूरी में पानी खरीदते हैं।
शोधकर्ताओं ने अध्यन्न के बाद बताया, कि बोतलबंद पानी से पर्यावरण को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचता है। उनका मानना है, कि नल का पानी पीने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाना चाहिए। लोगों के मन में इस बात ने घर कर लिया है कि नल के पानी के इस्तेमाल से बीमारियां हो सकती है।