भारत सरकार ने भारत के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक के पांच सहयोगी बैंकों को स्टेट बैंक में विलय की मंजूरी दे दी है। महिला बैंक पर कोई फैसला अभी नहीं आया है। इस विलय के बाद स्टेट बैंक दुनिया के पचास सबसे बड़े बैंकों में शामिल हो जायेगा। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस फैसले के बाद स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर (एसबीबीजे), स्टेट बैंक ऑफ मैसूर (एमबीएम), स्टेट बैंक ऑफ त्रवणकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक ऑफ पटियाला (एसबीपी) व स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद (एसबीएच) के भारतीय स्टेट बैंक में विलय का रास्ता साफ हो गया है।
फैसले से पहले एसबीआई की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने कहा था कि मार्च में विलय की योजना बनाई गई थी लेकिन यह एक तिमाही टल सकती है। उनका यह बयान मंजूरी मिलने से कुछ दिन पहले आया था। उन्होंने तब कहा था कि अभी मंजूरी मिलती भी है तो अंतिम तिमाही में विलय करना सही नहीं होगा। फैसले के बाद एसबीआई के एमडी, पी के गुप्ता ने कहा है कि अप्रैल तक विलय पूरा होने की उम्मीद है। विलय की प्रक्रिया में कम से कम 30 दिन का समय लगता है। उन्होंने कहा अभी 5 एसोसिएट बैंकों का ही विलय होगा, सरकार के फैसले के बाद महिला बैंक का भी विलय होगा। पिछले साल मई में एसबीआई ने विलय के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। कैबिनेट ने पिछले साल जून में इसे सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। इसके बाद प्रस्ताव को संबंधित बैंकों और एसबीआई के बोर्ड के पास भेजा गया था, जहां से इसे मंजूरी दे दी गई थी।
स्टेट बैंक में सहयोगी बैंकों के विलय से एक बड़ी बैंकिंग इकाई का गठन होगा। इस विलय से परिचालन लागत से सिर्फ एक हज़ार करोड़ रुपये की बचत होगी। विलय के बाद एसबीआई की शाखाओं की संख्या 22,500 होगी और देश भर में इसके 58,000 एटीएम होंगे। इसके ग्राहकों की संख्या 50 करोड़ से ज्यादा होगी। जिसकी कुल सम्पति 37 लाख करोड़ रुपये होगी। एसबीआई की परिसंपत्ति का आधार देश के दूसरे सबसे बड़े बैंक आईसीआईसीआई बैंक से करीब पांच गुना हो जाएगा।