कहते हैं जल ही जीवन है पर क्या हो जब वही जीवन देने वाला जल आपकी जिंदगी के लिए खतरा बन जाए। आज कल बोतल के पानी का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है लेकिन आपने कभी ये सोचा कि रेलवे स्टेशनों और दुकानों में मिलने वाला प्लास्टिक की बोतलों का पानी कहीं आपकी जिंदगी के लिए खतरा तो नहीं बन रहा। यही जानने के लिए बाजारों में मिलने वाली प्लास्टिक की पानी की बोतलों पर अध्ययन किया गया।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पर अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित स्टेट यूनिवर्सिटी द्वारा किए गए शोध के आधार पर यह दावा किया गया कि विश्वभर से लिए गए बोतलबंद पानी के 93 फीसदी नमूनों में प्लास्टिक के कण पाए गए। भारत में नई दिल्ली, चेन्नई और मुंबई समेत 19 जगहों से लिए गए सैंपल की भी जांच की गई, जिन बड़े ब्रांड के सैंपल की जांच की गई उसमें एक्वाफिना और बिसलरी भी शामिल हैं।
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चेन्नई की बिसलेरी के बोतल में प्रति लीटर में 5000 से अधिक माइक्रोप्लास्टिक कण मिले, जो कि पिछली बार के सर्वे में नल के पानी में पाए गए प्लास्टिक के कणों से दोगुना है। शोधकर्ताओं का मानना है कि पानी में ज्यादातर प्लास्टिक पानी को बोतल में भरते समय आता है, यह बोतल और उसके ढक्कन से आ सकता है।
अध्ययन में बताया गया कि एक दिन में एक लीटर बोतल बंद पानी पीने से इंसान के शरीर में 10 हजार सूक्ष्म कण जाते हैं। यूं तो दुनिया में बंद बोतल के पानी का व्यापार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और भारत में ये कारोबार सालाना 20-25 फीसदी की दर से आगे बढ़ रहा है। ऐसे में भारत में मौजूद अन्य पानी की बोतलें बेचने वाली कंपनियों के लिए ये रिपोर्ट एक चिंता का विषय है।