Meghalaya Election Result: NPP मेघालय में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही है। पार्टी के उम्मीदवार 25 सीटों पर आगे चल रहे हैं। इसलिए, अटकलों का बाजार गर्म है क्योंकि राजनीतिक पंडित पूर्व सहयोगी BJP और NPP के फिर से हाथ मिलाने की भविष्यवाणी कर रहे हैं। हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा के बीच एक बैठक हुई। राज्य की 59 विधानसभा सीटों के लिए अभी मतगणना जारी है। मतगणना आज सुबह आठ बजे शुरू हुई और शाम तक नतीजे आने की उम्मीद है। इससे पहले, बीजेपी के राज्य प्रमुख ने दावा किया कि उनकी पार्टी राज्य में कम से कम 10-15 सीटें जीतने की उम्मीद कर रही है, जबकि सत्तारूढ़ एनपीपी पार्टी के मुख्यमंत्री ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी 30 के बहुमत के निशान को तोड़ने के कगार पर है। मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा दक्षिण तुरा सीट पर बीजेपी के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बर्नार्ड एन मारक से महज 44 मतों के अंतर से आगे चल रहे हैं।
मेघालय में 11वीं राज्य विधानसभा के लिए मतगणना जारी है। सत्तारूढ़ पार्टी नेशनल प्रोग्रेसिव पार्टी (NPP) से लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) तक, और पिछले विधानसभा चुनावों में सर्वाधिक सीटें हासिल करने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) से लेकर तृणमूल कांग्रेस (TMC) तक सभी राज्य विधानसभा में अपने दम पर सत्ता हासिल करने के लिए जूझ रहे हैं।

किस पार्टी का राज्य में कितना प्रभाव?
कांग्रेस
बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। मेघालय का इतिहास बताता है कि मतदाताओं ने सबसे ज्यादा बार कांग्रेस को चुनना पसंद किया है। हालांकि, 2018 के राज्य चुनावों में 21 सीटों के साथ, राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी पार्टी के पास वर्तमान में कोई भी विधायक नहीं बचा है। पार्टी ने 2018 से 2023 की अवधि के बीच अपने सभी विधायकों को अन्य राजनीतिक दलों के हाथों खो दिया। इस बार पार्टी राज्य में बहुमत हासिल करने की कोशिश कर रही है, लेकिन एनपीपी कड़ी चुनौती पेश कर रही है। अभी तक के रुझानों के अनुसार, कांग्रेस राज्य में बहुत पीछे चल रही है।
तृणमूल कांग्रेस
राज्य में असली फायदा टीएमसी को हुआ है, जिसने पिछले चुनावों में एक भी सीट नहीं जीती थी, लेकिन अब उसके आठ विधायक हैं। इनमें से कुछ विधायक कांग्रेस से कूदकर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि, इस बार भी दीदी का जलवा राज्य में देखने को मिल रहा है। टीएमसी 5 सीटों पर आगे चल रही है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP)
राज्य में सीएए और एनआरसी को लेकर लोगों का मूड पार्टी के खिलाफ नजर आ रहा है। लेकिन जानकारों का कहना है कि राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। हालांकि, फिलहाल राज्य में पार्टी को करीब 5 सीट मिलती हुई दिख रही है। इससे पहले, 2018 में पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटें जीतने वाली पार्टी सत्तारूढ़ एनपीपी के साथ गठबंधन में थी और सरकार का हिस्सा थी। हालांकि, इस बार वे अलग हो गए और एक दूसरे के समर्थन के बिना जाने का फैसला किया।
नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP)
नेशनल पीपुल्स पार्टी भारत में एक राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी है, हालांकि इसका प्रभाव ज्यादातर मेघालय राज्य में केंद्रित है। यह पूर्वोत्तर भारत का पहला राजनीतिक दल है जिसने यह दर्जा प्राप्त किया है। 2018 में, पार्टी ने 60 विधानसभा सीटों में से 19 पर जीत हासिल की और भाजपा और अन्य दलों के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार बनाई, पार्टी अध्यक्ष कोनराड संगमा ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मई 2018 में, पार्टी ने उपचुनाव में विलियमनगर विधानसभा सीट जीती, जिससे 60 में से 20 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल हुई। एनपीपी एक बार फिर राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी है।
मेघालय राज्य मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (MDA) द्वारा शासित है, जिसमें NPP, BJP, यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP), पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट (PDF) और हिल स्टेट पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (HSPDP) शामिल हैं। हालांकि, राज्य में सरकार और केंद्र में सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के साथ, विपक्ष लड़ाई जीतने के लिए अधिक आशान्वित दिख रहा है।
क्षेत्रीय दलों का प्रभाव
यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP)
मेघालय में क्षेत्रीय दलों का उदय राज्य से भी पुराना है। पहली क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी, ऑल पार्टी हिल्स लीडर्स कॉन्फ्रेंस (APHLC) का गठन मेघालय को अलग राज्य का दर्जा दिलाने के लिए किया गया था। पार्टी, बाद में, अधिक क्षेत्रीय दलों के एकीकरण के साथ, 1997 में यूडीपी बन गई। 2018 के विधानसभा चुनावों में 6 सीटों के साथ, यूडीपी ने एनपीपी से हाथ मिलाया और सरकार का हिस्सा बनी। इस बार पार्टी 46 सीटों पर चुनाव लड़ी। हालांकि, रुझानों में पार्टी पिछड़ती हुई नजर आ रही हैं।
दशकों से, 1978 के बाद से, मेघालय में कभी भी एक पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार नहीं रही है और 2023 में भी किसी एक के आने की संभावना नहीं है। क्योंकि रुझानों में नई सरकार बनते ही अस्थिरता पर भी सवाल उठेंगे। मेघालय में अस्थिर राजनीति कोई नई बात नहीं है। राज्य में एकमात्र स्थिर सरकार 1972 में थी। बेशक, 2010 से 2018 तक सरकार (मेघालय संयुक्त गठबंधन एमयूए I और एमयूए II) का नेतृत्व करने वाले मुकुल संगमा और मेघालय डेमोक्रेटिक एलायंस (एमडीए) का नेतृत्व करने वाले कोनराड संगमा ने मुख्यमंत्रियों के रूप में अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया, लेकिन कोई नहीं इस तथ्य से इनकार करते हैं कि मुकुल और कोनराड के कार्यकाल के दौरान, चीजों को हिला देने और उनकी सरकारों को गिराने के लिए कई प्रयास किए गए। एक बार फिर राज्य में सरकार का पेंच फंसता दिख रहा है। अब देखना ये होगा कि राज्य में किस दल की सरकार बनती है।
यह भी पढ़ें: