मंगलवार 30 मई को एपीएन न्यूज के खास कार्यक्रम मुद्दा में बाबरी विध्वंस मामले में आरोप तय करने के मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन न्यूज), जस्टिस आर बी मिश्रा( पूर्व कार्यवाहक चीफ जस्टिस ऑफ हिमाचल प्रदेश), शरबत जहां फातिमा (प्रवक्ता कांग्रेस), चन्द्र भूषण पांडेय ( प्रवक्ता यूपी बीजेपी), रामदत्त त्रिपाठी ( वरिष्ठ पत्रकार) व पल्लव सिसौदिया शामिल थे।
पिछले 25 सालों से अधर में लटके बाबरी विध्वंस मामले में एक अहम फैसला आ गया है। सीबाआई की लखनऊ न्यायालय ने बीजेपी के बड़े नेता लाल कृष्ण आडवाणी समेत बारह नेताओं पर 120B के तहत मुकदमा चलाने का आदेश दे दिया है। सीबीआई अदालत के इस फैसले के बाद लाल कृष्ण आडवाणी के राष्ट्रपति बनने के सपने पर भी पूर्ण विराम लगता दिख रहा है। पिछले कुछ महीने से पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति बनाने की अटकले जोरों पर थी। लेकिन अब इस फैसले के बाद इन अटकलों पर लगभग पूर्ण विराम लग गया है।
जस्टिस आर बी मिश्रा ने कहा कि 25 वर्ष हो गया जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ था। उसके बाद दो तरह के एफआईआर किये गये। आम कारसेवकों को लेकर और बीजेपी के बड़े नेताओं को खिलाफ। चाहे साक्षी जी हो चाहे कटियार जी हो सभी अपने पार्टी का जो स्लोगन है एंजेडा है सामने रखकर बोलते हैं। जब उन्हे कोर्ट में अपना बयान देना होगा वो महत्वपूर्ण होगा।
शरबत जहां फातिमा ने कहा कि लखनऊ अदालत का जो भी फैसला होगा सभी को कांग्रेस पार्टी मानेगी। कानूनी पेंच बहुत आया है हर एक पहलू पर कानूनी बातें तो नहीं बता पायेंगे लेकिन राजनीतिक रुप से हमें अभी इंतजार करना चाहिए।
चन्द्र भूषण पांडेय ने कहा कि हम सभी लोगों को फैसले का इंतजार है। मुझे भरोसा है कि आडवाणी समेत तमाम बड़े नेता उस विवादित ढाचें को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अगर समय से इस मामले का निपाटारा हो गया होता तो इन सारे लोगों का मानसिक उत्पीड़न जो हो रहा है उससे बच गये होते।
रामदत्त त्रिपाठी ने कहा कि हमें ये ध्यान रखना चाहिए की पहले ट्रायल शुरु हो चुका था स्पेशल कोर्ट में और 9 सितंबर 1997 को स्पेशल कोर्ट ने जो चार्जेज फ्रेम करने का आर्डर पास किया था आडवाणी जी समेत उसके बाद ये लोग हाई कोर्ट गये थे। वहां पर तकनीकि कमी की वजह से ये केस आगे नही बढ़ सका।
गोविंद पंत राजू ने कहा कि आज का जो डिस्चार्ज एप्लिकेशन है वो महज एप्लीकेशन है ये समय टालने की बात है। उन पर चार्जेज फ्रेम होने तो तय है क्योंकि ये एक पुराना आदेश है जिसके तहत चार्जेज फ्रेम होने थे उसके बाद तकनीकि तौर पर ये मामला उलझता रहा है। जो लोग आरोपी हैं उनको अदालती कार्यवाई का सामना तो करना ही पड़ेगा। अगर आरोप तय होते हैं तो निश्चित तौर पर बीजेपी के कुछ नेताओं के लिए उनका जो संवैधानिक पदों पर आने का जो सपना है वो खत्म होगा।