कजरी तीज का महत्व और अलग अलग नाम, जाने यहां

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आज कजरी तीज मनाई जा रही है। ये त्योहार भाद्रपद में कृष्ण पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इसे कजली तीज, बूढ़ी तीज या सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाती है… इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। मनचाहे वर की कामना के लिए अविवाहित लड़कियां भी इस दिन व्रत रखती हैं। कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की भी परंपरा है। हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह कजरी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए प्रमुख त्योहार माना जाता है। विवाहित महिलाएं ये व्रत पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि… के लिए करती हैं। माना जाता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को अपनी कठोर तपस्या से प्राप्त किया था। इस दिन संयुक्त रूप से भगवान शिव और पार्वती की उपासना करनी चाहिए। यह त्यौहार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. कजरी तीज 25 अगस्त को मनाई जाएगी।

कजरी तीज का शुभ मुहूर्त () तृतीया आरम्भ- 24 अगस्त को शाम 4 बजकर 7 मिनट से तृतीया समाप्त- 25 अगस्त को शाम 4 बजकर 21 मिनट पर कजरी तीज की पूजा विधि इस दिन सुहागन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं। सबसे पहल… नीमड़ी माता को जल, रोली और चावल चढ़ाएं. नीमड़ी माता को मेंहदी और रोली लगाएं। नीमड़ी माता को मोली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. इसके बाद फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें। पूजा स्थल पर घी का बड़ा दीपक जलाएं और मां पार्वती और भगवान शिव के मंत्रों का जा… के मंत्रों का जाप करें। पूजा खत्म होने के बाद किसी सौभाग्यवती स्त्री को सुहाग की वस्तुएं दान करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।