पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री द्वारा 1965 में दिया गया जय जवान, जय किसान का नारा लोगों के जहन में बखूबी याद होगा लेकिन आज वही जवान सरहद पर और किसान सरहद के अंदर अपनी जान गँवा रहा है। ताजा घटनाक्रम मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले का है, जहां आंदोलनकारी किसानों द्वारा कर्जमाफी और स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लेकर प्रदर्शन के दौरान पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत के बाद राज्य में भारी हंगामे का माहौल है। घटनास्थल पर कलेक्टर और एसपी के देरी से पहुंचने को लेकर नाराज प्रदर्शनकारियों ने कलेक्टर स्वतंत्र सिंह के साथ धक्कामुक्की की और उनके कपड़े तक फाड़ दिए। वहीं कलेक्टर ने बयान जारी कर कहा,’अन्नदाताओं पर गोलियां चलाने की इजाजत नहीं थी इसपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दोषियों को सामने लाया जाएगा।’
उधर, सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मंदसौर हिंसा में मारे गए 6 किसानों के परिजनों के लिए एक-एक करोड़ रुपये मुआवजे और गंभीर रूप से घायलों को पांच लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है। इसके अलावा मृतक किसानों के परिवार में से एक सदस्य को नौकरी भी दिए जाने की घोषणा की है तो दूसरी ओर भोपाल में भारतीय किसान यूनियन और कांग्रेस के बंद के एलान का असर लो फ्लोर बस सेवा समेत दूध की सप्लाई पर पड़ा है।
बुधवार 7 जून को एपीएन न्यूज के विशेष कार्यक्रम मुद्दा में मंदसौर में किसानों पर हुई गोलीबारी जैसे संवेदनशील मुद्दे पर चर्चा हुई। इस अहम मुद्दे पर चर्चा के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ शामिल थे। इन लोगों में गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक एपीएन), शरबत जहाँ फातिमा (प्रवक्ता कांग्रेस, नॉएडा), राकेश टिकैत (किसान नेता), संजीव सिंह (प्रवक्ता यूपी बीजेपी), सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी (प्रवक्ता आरएलडी) और चन्द्र शेखर पाण्डेय (नेता सपा) शामिल थे।
राकेश टिकैत ने कहा कि सत्ता में आने से पहले बीजेपी सरकार ने किसानों से जो वादा किया था, किसान केवल उसी वादे की मांग कर रहे हैं। क्या स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट पर शिवराज सिंह की सरकार ने किसानों से बात की, नहीं? अहिंसा परमों धर्मं के मार्ग पर चलकर किसान मंदसौर में 1 जून से 10 जून तक शांतिपूर्ण रुप से आंदोलन कर रहे थे लेकिन सरकार द्वारा परिणाम क्या आया सबने देखा? देश में जब तक नेशनल एग्रीकल्चर पॉलिसी नहीं बनेगी तब तक किसानों का हित असंभव है।
संजीव सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा इस घटना की जड़ तक जांच की जाएंगी, जिसकी त्यागी जी मांग कर रहे हैं। इस उग्र घटना के पीछे कौन जिम्मेदार हैं? घटना कैसे घटी और किसानों पर गोली चलवाने के पीछे किसका हाथ है? सब सच सामने आएगा। रही बात स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की तो सरकार उसपर काम कर रही है।
शरबत जहाँ फातिमा ने कहा कि कांग्रेस को दोषी ठहराने वाली बीजेपी सरकार ने खुद क्या किया? तमिलनाडु के किसान एक महीने से जंतर मंतर पर धरना देते रहे, राष्ट्र का पेट भरने वाला किसान आज पेशाब पीने को मजबूर है लेकिन किसानों की बात करने वाले पीएम मोदी ने किसानों की सुध लेनी सही नहीं समझी। मंदसौर में किसानों के उग्र प्रदर्शन पर गोलियां चलाना किस समस्या का समाधान है? किसानों पर गोलियां चला कर सरकार क्या साबित करना चाहती है?
चन्द्र शेखर पाण्डेय ने कहा कि शांतिप्रिय रहने वाला किसान आज उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर क्यों है? क्या सरकार ने पता लगाने की कोशिश की, नहीं? कृषि का विकास बिना किसानों से संचार और संवाद के संभव नहीं हैं। इन दो सालों में किसानों की हालत बद से बदतर होती चली गई लेकिन सरकार भूख, भ्रम और भय की राजनीति करती रही है। मोदी किसानों के ऋण माफ नहीं कर सकते थे तो उन्होंने किसानों को ऋण माफी के सपने क्यों दिखाए?
सुरेन्द्र नाथ त्रिवेदी ने कहा कि वर्तमान समय में किसान अपना हक मांगने में भी असमर्थ हैं। किसानों को हक की जगह लाठी और गोलियां खाने को मिल रही हैं। केन्द्र और राज्य द्वारा किसानों की अनदेखी का नतीजा है कि आज चीनी, दाल, गेहूं का आयात बाहर से कराया जा रहा है। सरकार ने जिन किसानों के साथ मिलकर पार्टी बनाई आज उन्ही किसानों की हालत दयनीय है।
गोविंद पंत राजू ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जय जवान, जय किसान के नारे के बाद भी भारतीय किसान सबसे निम्न तबके में आते हैं। किसी भी सरकार में अर्थव्यवस्था में पूंजी का प्रभाव किसानों तक नहीं पहुंचा जो विचारणीय है। आज जिस प्रकार से गावों का शहरीकरण किया जा रहा है अगर आज गांव नहीं बचेंगे तो भारत नहीं बचेगा।