दलितों के मसीहा कहे जाने वाले संविधान निर्माता बाबा साहेब नेआरक्षण की शुरुआत पिछड़ी जाति के उत्थान के भावना से की थी। उनका विचार था कि एक स्थिति के बाद अल्पसंख्यको के समाज में घुल मिल जाने के पश्चात उन्हें अपना विशेष दर्जा छोड़ देना चाहिए लेकिन भारत की आजादी के 70 साल पूरे हो चुके हैं और आज लोग आरक्षण को अपना विशेषाधिकार समझने लगे हैं। जिसके चलते देश के विभिन्न राज्यों के (गुजरात में पटेल समुदाय, राजस्थान में गुर्जर समुदाय, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा में जाट और आंध्र प्रदेश में काबू) समुदाय को आरक्षण चाहिए।
बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर ने संविधान में प्रस्ताव रखा कि “अल्पसंख्यकों को केवल 20 या 40 वर्षों के लिए आरक्षण प्राप्त हो।“ हालांकि संविधान सभा ने उनकी बात न मानकर आरक्षण को केवल दस वर्ष की समय सीमा तय की लेकिन साथ में संविधान में यह भी जोड़ा गया कि जरुरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकेगा। जिसके पश्चात आज आजादी के 70 साल होने के बाद भी आरक्षण व्यवस्था लागू है।
इसी खास मुद्दे को लेकर एपीएन के स्टूडियों में आज ”अम्बेडकर जयंती पर क्या है सरकार की सोच, क्या आरक्षण पर सरकार लगाएगी रोक?” विषय पर चर्चा की गई। जिसमें जगदेव सिंह यादव (प्रवक्ता सपा), कमलाकर त्रिपाठी (प्रवक्ता यूपी कांग्रेस), सूरजभान कटारिया (नेता बीजेपी) और गोविंद पंत राजू (सलाहकार संपादक APN) जैसे विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। शो का संचालन एंकर अरविंद ने किया।
जगदेव सिंह यादव का मत है कि बाब साहेब ने सामाजिक भेदभाव, पिछड़ेपन को दूर कर प्रत्येक तबके के लोगों को बराबर हक़ दिलाने के लिए आरक्षण की शुरुआत की थी। आज पीएम मोदी दलितों और पिछड़ों की बात करते नहीं थकते लेकिन आज उनके साथ क्या हो रहा है? बाबा साहेब के नाम पर राजनीतिक पार्टियों द्वारा सियासत करना दुर्भाग्यपूर्ण है।
सूरजभान कटारिया का मत है कि क्या यह राष्ट्र की जनता बाबा साहेब की सोच और भारतीय संविधान के अनुसार चल रही है! नहीं ? बाबा साहेब ने आरक्षण उन तबके के लोगों के लिए रखा था जो आर्थिक रुप से पिछड़े थे, जिसे आज एससी/एसटी बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी ने अपने जनसंबोधन में कहा था कि आज जो मैं इस प्रधानमंत्री की पद पर आसीन हूं वह बाबा साहेब की देन है।
कमलाकर त्रिपाठी का मत है कि भारत में एक समय यह था कि जाति के आधार पर लोगों को काम बांटा जाता था लेकिन आज अनेक जातियां एक ही काम करती है जो कि बाबा भीमराव अंबेडकर की देन है। बाबा साहेब का बेसिक मोटो था “जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागीदारी।“
गोविंद पंत राजू का मत है कि आज समीक्षा के नाम पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे हैं जो कि लोकतांत्रिक भावनाओं का हनन है। अंबेडकर जी ने जातियों के बीच से जात-पात, ऊंच-नीच, छूआ-छूत भेदभाव को खत्म करने के लिए आरक्षण की बात कही थी। लेकिन आज यह दुर्भाग्यपूर्ण रह गया है। आज मंगल कमीशन के आधार की समीक्षा नहीं होनी चाहिए क्योंकि आज यूपी में पटेल समुदाय को आरक्षण प्राप्त है तो गुजरात में पटेल आरक्षण की मांग कर रहे है।