India Or Bharat: तारीख थी 18 सितंबर 1949, आज से ठीक 74 साल पहले संविधान सभा में देश के नाम पर तीखी बहस हो रही थी। बहस इस बात को लेकर थी कि देश का नाम क्या हो भारत या इंडिया?
आज भी तारीख है 18 सितंबर, लेकिन सन बदल गया है।आज एक बार फिर संसद में देश के नाम को लेकर बहस हो सकती है। अटकलें ये भी हैं कि सरकार देश से जुड़े नाम को लेकर कोई प्रस्ताव क्या इतिहास एक बार फिर खुद को दोहराएगा? क्या जो 74 साल पहले नहीं हो पाया था, वो आज होगा? ऐसा माना जा रहा है कि संसद के विशेष सत्र के लिए तारीख भी काफी सोच-समझकर चुनी गई है।इसे मात्र संयोग नहीं माना जा सकता कि एक विशेष तारीख पर संसद का विशेष सत्र बुलाया गया है।
India Or Bharat: आज से 74 साल पहले, 18 सितंबर 1949 को, भारत की संविधान सभा ने डॉ. राजेंद्र प्रसाद की अध्यक्षता में एक बैठक की थी। जिसमें इस बात पर चर्चा की गई थी कि देश को “भारत” कहा जाना चाहिए या “इंडिया”। प्रस्ताव एच.वी.कामथ ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की ओर से दिया।देश का नाम “इंडिया” से बदलकर “भारत” करने की मांग उठाई। हालांकि, संशोधन अंततः 38 से 51 के वोट से पराजित हो गया। इतिहासकारों और राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह सिर्फ एक संयोग नहीं हो सकता है कि विशेष सत्र उसी तारीख को बुलाया गया है। उस समय देश के नाम को लेकर कई सुझाव थे, जिनमें हिंदुस्तान, हिंद, भारतवर्ष, भारत और भारतभूमि प्रमुख रहे। इस दौरान एचवी कामथ पहले वक्ता थे. उन्होंने कहा था, ‘यह भारतीय गणतंत्र का नामकरण समारोह है।
उन्होंने तर्क रखने शुरू किए कि असल में भरत वैदिक युग में दुष्यंत और शकुंतला का बेटा था। जिसके नाम पर भारत नाम पड़ा। कामथ के प्रस्ताव का अंबेडकर ने विरोध किया।कामथ ने कहा कि ‘मुझे लगता है कि इंडिया यानी भारत संविधान में अनफिट है।’ कामथ ने इसे संवैधानिक भूल करार दिया।
India Or Bharat: 1949 से लेकर 2020 तक कई बार उठी भारत नाम रखने की मांग
कामथ के बाद बिहार से ब्रजेश्वर प्रसाद ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इंडिया या भारत को लेकर किसी तरह की दिक्कत है।उन्होंने प्रस्ताव रखा कि संविधान के अनुच्छेद-1 में कहा जाना चाहिए कि ‘इंडिया, दैट इज भारत, एक अभिन्न इकाई है।एक अन्य सदस्य सेठ गोविंद दास ने कहा था कि चीनी यात्री ह्यन सांग ने भी अपनी किताब में हमारे देश का जिक्र भारत के तौर पर किया है।आखिरकार संविधान सभा में हुई बहस के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया कि इंडिया दैट इज भारत को संविधान के अनुच्छेद 1(1) में जोड़ा जाए। साल 2012 में कांग्रेस नेता शांताराम नाइक एक निजी विधेयक लेकर आए थे, जिसमें कहा गया था कि संविधान की प्रस्तावना में इंडिया के बजाए भारत शब्द कर देना चाहिए।
साल 2015 में योगी आदित्यनाथ ने भी प्राइवेट बिल पेश किया था।उन्होंने संविधान में ‘इंडिया दैट इज भारत’ की जगह ‘इंडिया दैट इज हिंदुस्तान’ करने का प्रस्ताव दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा है मामला
मार्च 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने देश का नाम ‘इंडिया’ की जगह सिर्फ ‘भारत’ रखने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया था।2020 में फिर से सुप्रीम कोर्ट में ऐसी ही याचिका दायर हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी खारिज कर दिया था।तत्कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने कहा था, ‘भारत और इंडिया, दोनों ही नाम संविधान में दिए गए हैं. संविधान में देश को पहले ही भारत कहा जाता है।’
India Or Bharat: जानिए इंडिया नाम हटाने की प्रक्रिया?
संविधान के अनुच्छेद-1 के अनुसार इंडिया दैट इज भारत, जो राज्यों का संघ होगा।अगर केंद्र सरकार देश का नाम सिर्फ भारत करना चाहती हे तो उसे अनुच्छेद -1 मं संशोधन करने के लिए बिल लाना होगा।
संविधान का अनुच्छेद -368 इसकी अनुमति देता है।कुछ संशोधन साधारण बहुमत यानी 50 फीसदी बहुमत के आधार पर हो सकते हैं, वहीं कछ संशोधन के लिए 66 फीसदी यानी कम से कम दो तिहाई सदस्यों के समर्थन की जरुरत पड़ती है।ऐसे में केंद्र सरकार को कम से कम दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।
अगर अभी लोकसभा की स्थिति देखें तो लोकसभा में 539 सांसद हैं। अनुच्छेद-1 में संशोधन के बिल को पास करने के लिए 356 सांसदों का समर्थन चाहिए।
राज्यसभा में 238 सांसद हैं, वहां बिल पास कराने के लिए 157 सदस्यों के समर्थन जुटाना जरुरी है।
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