आपराधिक मामलों में पुलिस के द्वारा मीडिया ब्रीफिंग के लिए दिशानिर्देश तय करने के मामले पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। CJI की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि य़ह बेहद अहम मामला है क्योंकि इसमें बड़े पैमाने पर जनता का हित जुड़ा है।
उन्होंने कहा कि लोगों को सूचना हासिल करने का अधिकार है लेकिन ब्रीफ में जांच के दौरान अहम सुबूतों का अगर खुलासा हो तो जांच भी प्रभावित हो सकती है। इसमे हमें आरोपी के अधिकार का भी ध्यान रखना है क्योंकि मीडिया ट्रायल से उनका हित प्रभावित होता है। CJI ने केंद्र से सरकार से कहा कि वह तीन महीने में मीडिया ब्रीफिंग के लिए पुलिस को प्रशिक्षित करने के लिये दिशानिर्देश तय करें।
CJI ने कहा कि हमें मीडिया ट्रायल की इजाजत नहीं दी जा सकती। इस बारे में विचार करना होगा कि मीडिया ब्रीफिंग के लिए पुलिस को कैसे प्रशिक्षित किया जाना चाहिए? वरिष्ठ वकील गोपाल शंकरनारायण ने कोर्ट मे आरुषि मामले में मीडिया लापरवाही का जिक्र करते हुए कहा कि हम मीडिया को रिपोर्टिंग करने से नहीं रोक सकते, लेकिन पुलिस को संवेदनशील होने की जरूरत है।
ASG ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि सरकार मीडिया ब्रीफिंग को लेकर दिशानिर्देश तय करेगी और कोर्ट को इसके बारे मे बताएगी। कोर्ट ने MHA से मीडिया ब्रीफिंग को लेकर तीन महीने में विस्तृत मैन्यूअल तैयार करने के निर्देश देते हुए सभी राज्यों के DGP एक महीने के भीतर MHA को सुझाव देने को कहा है।