उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के बोर्ड परीक्षा में प्रशासन कड़ाई और नक़ल रोकने की बात करता रहा है। राज्य में सियासत और सरदार दोनों बदल चुके हैं लेकिन शायद इससे परीक्षार्थियों,अधिकारियों और अभिभावकों को कोई फर्क नहीं पड़ता है। यही वजह है कि पिछले कई सालों की तरह इस बार भी परीक्षा में पारदर्शिता को नकल माफियाओं ने तार- तार कर दिया है। अधिकारी नक़ल को लेकर सुस्त हैं विद्यार्थी खुश हैं। इस नक़ल के खेल में अभिभावक भी बढ़-चढ़ कर योगदान दे रहे हैं। हर कोई बस बहती गंगा में हाथ धोने में लगा है।
नक़ल की खबर यूपी के किसी एक जिले से नहीं बल्कि कई जिलों से आ रही है। पुरे प्रदेश में कमोबेश यही हाल है। मथुरा से लेकर महाराजगंज,बलिया,इलाहाबाद सहित हर जगह से नक़ल करते-कराते शिक्षकों,अभिभावकों और विद्यार्थियों की ऐसी तस्वीरें आ रही है। सूबे में नई सरकार अपना कार्यभार संभाल चुकी है। नए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने अधिकारियों को कड़े निर्देश जारी किये है लेकिन परीक्षा में ऐसे खिलवाड़ को देखकर तो यही लगता है कि अधिकारी पुराने ढर्रे से लौट अपनी जिम्मेदारी निभाने में अभी भी तत्पर नहीं हैं।
उत्तरप्रदेश चुनावों के दौरान परीक्षा में नक़ल का मुद्दा भी खूब उछला था। बीजेपी की तरफ से पीएम मोदी और सपा की तरफ से अखिलेश ने इस मुद्दे पर जम कर शब्दबाण चलाये थे। ऐसे में बीजेपी सरकार बनने के बाद निष्पक्ष,पारदर्शी और नक़ल रहित परीक्षा की उम्मीद लगाई जा रही थी लेकिन नक़ल करते विद्यार्थी और सहयोग देते अभिभावकों को देख कर यह उम्मीद टूटती नज़र आ रही है। परीक्षा शुरू होने से पहले प्रशासन ने कदाचार रहित परीक्षा के तमाम दावे किये थे लेकिन यह दावे परीक्षा शुरू होने के बाद फेल नजर आ रहे हैं। उम्मीद है राज्य सरकार नक़ल को बढ़ावा दे विदयार्थियों का भविष्य चौपट करने के साथ राज्य के नाम पर काला धब्बा लगाने वाले दोषियों पर कड़ी कारवाई करेगी और जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगी। फ़िलहाल नक़ल का खेल बदस्तूर जारी है। प्रशासन चिर निद्रा में लीन है।